कोडरमा। नाटकीय तरीके से एक युवक सिकंदर दास का अपहरण कर हत्या किए जाने के एक मामले की सुनवाई के पश्चात् अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम गुलाम हैदर की अदालत ने शुक्रवार को आरोपी विजय दास को 302 के तहत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई साथ ही 15 हजार रूपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना की राशि नहीं देने पर दो वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी। वहीं न्यायालय ने 201 आईपीसी में साक्ष्य छुपाने का दोषी पाते हुए 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं 5 हजार रूपये जुर्माना लगाया, सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। मामला वर्ष 13 मई 2021 का है। इसे लेकर चंदवारा थाना कांड संख्या 52/2021 एवं सत्र वाद संख्या 155/2021 दर्ज की गयी थी।
क्या है मामला
घटना का सूचक मृतक की मां मीना देवी पति कांति दास चंदवारा जिला कोडरमा निवासी ने पुलिस को दिए बयान में कहा था वह और उसका पुत्र सिकंदर दास गाड़ी चालक विजय दास के साथ कर्मा एक शादी समारोह में दिन के करीब 12 बजे गई थी। करीब 3ः30 बजे दिन में विजय दास मेरे पुत्र सिकंदर दास को लेकर कहीं चला गया और फिर वापस नहीं लौटा। काफी खोजबीन के बाद भी उसका पता नहीं चला। इसी दौरान उसका देवर, सिकंदर दास के मोबाइल पर काॅल किया तो उस मोबाइल को विजय दास के द्वारा उठाया गया और कुछ गलत गलत ठिकाना बता कर मोबाइल को स्विच आॅफ कर दिया गया। जिसके बाद उसके गांव के कई लोग विजय दास के घर पर गए तो वहां पूछताछ करने पर पता चला कि वह मारुति कार के साथ 1 दिन पूर्व तक वहीं देखा गया है।
इसकी सूचना मीना देवी के द्वारा पुलिस को दी गई और उसके पुत्र सिकंदर दास का अपहरण करने का आरोप विजय दास पर लगाया। पुलिस ने उक्त मामले में बेहतरीन कार्य करते हुए एक एक कड़ी को जोड़ते हुए मामले के तह तक पहुंची और उक्त कांड में शामिल विजय दास, ललिता देवी एवं जितेंद्र रविदास तक पहुंची। पूछताछ के क्रम में विजय दास ने उसकी हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और उसकी निशानदेही पर पुलिस ने सिकंदर दास के शव को बरामद किया। न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में ललिता देवी एवं जितेंद्र रविदास को बरी कर दिया। वहीं विजय दास को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
वहीं अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक पीपी मंडल ने करते हुए अभियुक्त को अधिक से अधिक सजा देने की मांग न्यायालय से की, वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रकाश मोदी, एवं अंशुमान पांडे ने दलीलें पेश की और न्यायालय से कम से कम सजा देने का गुहार लगाया। इस दौरान सभी 10 गवाहों का परीक्षण कराया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने एवं अभिलेख पर उपस्थित साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।