रांची। जगन्नाथपुर में मौसीबाड़ी से नौ दिनों के प्रवास के बाद भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गुरुवार को भक्तों को आशीष लुटाते अपने धाम मुख्य मंदिर लौट गये। घुरती रथ यात्रा के नाम से चर्चित इस समारोह में हजारों की भीड़ उमड़ी। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के जयघोष से पूरा मेला परिसर गूंज उठा। हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालु रथ की रस्सी छूने को आतुर दिखे।
रथ पर सवार होनों से पहले भगवान के विग्रहों का एक घंटा तक मंत्रोच्चारण व विधिवत पूजा अर्चना की गयी। घुरती रथ यात्रा के कारण गुरुवार को मेला में अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ थी। भगवान के अपने धाम पहुंचने के साथ ही नौ दिन तक चलनेवाला रथ मेला का समापन हो गया। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। रांची में रथयात्रा की परंपरा 323 सालों से चली आ रही है।