नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम का उद्घाटन किया। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में इसे भारत के लिए बड़ी उपलब्धि का दिन बताया।
पीएम मोदी ने कहा, आज भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि का दिन
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि परम रुद्र सुपर कंप्यूटर और एचपीसी प्रणालियों के साथ भारत ने कंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि का दिन है। आज का दिन इस बात का भी प्रतिबिंब है कि 21वीं सदी का भारत किस तरह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटर बनाए हैं। ये सुपर कंप्यूटर दिल्ली, पुणे और कोलकाता में लगाए गए हैं। आज ही ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ 2 हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम का उद्घाटन भी किया गया है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए देश के वैज्ञानिक समुदाय, इंजीनियरों और सभी देशवासियों को बधाई दी।
पहला सुपर कंप्यूटर
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर ‘परम 8000’ था, जिसे 1991 में सी-डैक पुणे में विकसित किया गया था।.तब से लेकर अब तक भारत ने सुपर कंप्यूटिंग के क्षेत्र में लंबा सफर तय किया है। आज भारत के पास कई उन्नत सुपर कंप्यूटर हैं, जैसे ‘परम शिवाय’, ‘परम शक्ति’ और ‘परम अनंत’, जो विभिन्न अनुसंधान कार्यों में सहायक साबित हो रहे हैं।
विश्व में कहां खड़े हैं हम?
जहां तक वैश्विक सुपर कंप्यूटिंग की बात है, चीन, अमेरिका और जापान इस क्षेत्र में आगे हैं। भारत के पास भी 11 सुपर कंप्यूटर हैं, जो टॉप 500 सुपर कंप्यूटरों की सूची में शामिल हैं, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान इस सूची में नहीं है। इस तरह के सुपर कंप्यूटर विज्ञान, तकनीकी अनुसंधान, और राष्ट्रीय विकास के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।भारत इनका इस्तेमाल करके अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं को और मजबूत कर रहा है।
हजारों कंप्यूटर्स का काम करेगा परम रुद्र
आपको बता दें कि ये परम रुद्र सुपर कंप्यूटर एक साथ इतनी बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस कर सकते हैं जितना कई सारे साधार कंप्यूटर मिलकर भी नहीं कर सकते। इन सुपर कंप्यूटर का काम सामान्य तौर पर वैज्ञानिक और अनुसंधान कार्यो में किया जाता है। इसके अतिरिक्त खगोलीय घटानाओं, प्राकृतिक घटनाओं की जानकारी का पता लगाने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।
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पीएमओ के अनुसार, यह परियोजना मौसम संबंधी अनुप्रयोगों के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएमओ ने कहा कि दो प्रमुख स्थलों पुणे में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) में मौजूद इस एचपीसी प्रणाली में असाधारण कंप्यूटिंग शक्ति है।
नयी एचपीसी प्रणालियों को ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ नाम दिया गया है, जो सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है। ये उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, गरज के साथ बारिश, ओलावृष्टि, लू, सूखा और अन्य महत्वपूर्ण मौसम संबंधी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणियों और ‘लीड टाइम’ को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे।
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