नई दिल्ली: आज यानी मंगलवार 22 अक्टूबर को ब्रिक्स सम्मिट 2024 की शुरुआत होने जा रही है। जो रशिया के कज़ान शहर में होगी। बता दें इस समिट की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी जो भारत के हर एक नागरिक के लिए बहुत बड़ी बात है। ब्रिक्स सम्मिट में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी सुबह सात बजे नई दिल्ली से रवाना हो चुके है। जहां वो रूस के कजान शहर पहुंचने के दो घंटे बाद ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।यहां पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी पीएम मोदी की मुलाकात हो सकती है। भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।
आपको बता दें यह पांच महीनों के भीतर दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात होगी। इस समिट को कवर करने के लिए जनहित टाइम्स को भी आमंत्रित किया गया है। जिसको लेकर जनहित टाइम्स की टीम एक दिन पहले वहां पहुंची और तैयारी का जायजा लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कजान पहुंचेंगे तो सबसे पहले वो भारतीय मूल के लोगों से मिलेगे और कजान एयरपोर्ट से सीधा Hotel korston जाएंगे। जहां पर उनके स्वागत में महात्मा गांधी के जीवन काल की पूरी कहानी उन्हें तस्वीरों के रूप में देखने को मिलेगी। साथ ही यहां पर उनके स्वागत में बेहतरीन कलाकारों द्वारा बहुत ही शानदार प्रस्तुति की भी पेशकश की जाएगी।
भारत के लिहाज से क्यों है खास?
ब्रिक्स समिट के जरिये भारत और रूस के बीच सहयोग बढ़ने के अलावा भारत और चीन के बीच कुछ बातचीत होने की उम्मीद है। सभी को प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का इंतजार है। ऐसा माना जा रहा है कि गलवान में शुरू हुआ तनाव रूस के कजान में खत्म हो सकता है। भारत और चीन के बीच में तल्खी सोमवार को काफी नरम देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच विवादित पेट्रोलिंग प्वाइंट्स को लेकर समझौता हुआ है। भारत की सेना यहां पर फिर से गश्त कर सकेगी।
शी जिनपिंग से पिछली बार कब बातचीत हुई थी?
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की आखिरी बातचीत की बात करें तो वह आखिरी बार साल 2023 में साउथ अफ्रीका के ब्रिक्स सम्मेलन में ही हुई थी। इससे पहले साल 2020 में जी-20 समिट में शी जिनपिंग और पीएम मोदी पहुंचे थे। हालांकि, यहां पर किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत-चीन के संबंधों पर काफी असर पड़ गया था।
ब्रिक्स देशों क्यों अपनाना चाहते हैं नई करेंसी?
ब्रिक्स समिट में एक सबसे अहम मुद्दा नई करेंसी का भी रहेगा। ब्रिक्स देश चाहते हैं कि वे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम कर सके और एक नई साझा करेंसी को शुरू करें। नई करेंसी के बारे में चर्चा सबसे पहले साल 2022 में शुरू हुई थी। इसके बाद ब्राजील के राष्ट्रपति ने साल 2023 में ब्रिक्स करेंसी के प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि ब्रिक्स देशों के पास में नई करेंसी क्यों नहीं हो सकती।
आपको बता दें ब्रिक्स समिट 2024 में इस बार 32 से भी ज्यादा देश के अध्यक्ष और Delegates शिरकत करने वाले हैं जो कि अपने आप में एक बहुत ही बड़ी चीज साबित होने वाली है। क्योंकि जहां एक तरफ पूरी दुनिया की मीडिया युद्ध और वर्ल्ड वॉर 3 जैसी बातें करने में और टीआरपी बटोरने में लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ खुद युद्ध में उलझा हुआ रशिया जैसा देश अपने देश में इतने देश के लोगों की मेजबानी कर रहा है।
BRICS क्या है?
बात अगर ब्रिक्स की करें तो इसकी स्थापना सितंबर 2006 में हुई थी। जिसमें मूल रूप से ब्राजील रूस भारत और चीन शामिल थे। सितंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद इसका नाम बदलकर ‘ब्रिक्स’ कर दिया गया। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ ब्रिक्स वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है और यह वर्षों से वैश्विक आर्थिक विकास का एक प्रमुख प्रेरक रहा है। BRICS समिट अभी तक 15 बार हो चुकी है। BRICS समिट 2009 में BRIC देशों की पहली समिट हुई थी। इसका आयोजन रूस में हुआ था।
इसके बाद 2010 में साउथ अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर BRICS हो गया। अब तक 15 बार BRICS समिट हो चुकी है। इस बार 16वीं समिट हो रही है। रूस अब तक तीन बार BRICS समिट की मेजबानी कर चुका है। यह चौथा मौका होगा जब पुतिन BRICS की अध्यक्षता करेंगे।
ब्रिक्स सम्मेलन का उद्देश्य
ब्रिक्स का प्रमुख मकसद विकासशील देशों का आपस में आर्थिक सहयोग बढ़ाना है। इससे दुनिया के विकसित देश अपनी नीतियां उन पर ना थोप पाएं और ये देश मिल कर उनका डट कर मुकाबला कर सकें। यही वजह है कि इसके अहम मकसदों में विकसित और विकासशील देशों के बीच तालमेल कायम रखना भी शामिल है। इसमें आपसी राजनीतिक संबंधों को बेहतर बनाना, आर्थिक मदद और एक दूसरे की सांस्कृतिक रक्षा करना भी शामिल है।
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