श्रीनगर। कश्मीर घाटी में काउंटर-इंटेलिजेंस (सीआईके) ने आज सुबह कई जिलों में आतंकवादी भर्ती मॉड्यूल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सीआईके ने श्रीनगर, गांदरबल, बडगाम, बांदीपोरा, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग जिलों में छापा मारा है। छापेमारी के दौरान टीएलएम से जुड़े कुछ नए आतंकियों और ओवर ग्राउंड वर्करों को भी पकड़ा गया है।
गिरोह को बाबा हमास नाम का आतंकी चलाता है
इस दौरान लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा तहरीक लबैक या मुस्लिम के एक भर्ती मॉड्यूल का खुलासा हुआ है। इस संगठन का नेतृत्व पाकिस्तानी आतंकवादी हैंडलर बाबा हमास कर रहा है। एक अधिकारी के अनुसार, इस मॉड्यूल को कुख्यात लश्कर-ए-तैयबा का अंग माना जाता है। उन्होंने कहा कि अभी भी छापेमारी जारी है।
CIK ऑपरेशन में अब तक क्या मिला : अब तक 10 लोकेशन पर छापा मारा गया है। 7 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। 14 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप जब्त किया गया है। कुछ मटेरियल भी जब्त किया गया है।
आतंकी हमले की जांच के लिए दिल्ली से टीम गई
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले में रविवार रात हुए आतंकी हमले में छह मजदूरों और एक डॉक्टर की मौत हो गई। आतंकियों ने एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी के कैंप पर फायरिंग की। जहां सुरंग बनाने वाले मजदूर रहते थे। उन्होंने उस समय हमला किया जब श्रमिक और अन्य कर्मचारी अपने शिविर में लौट रहे थे। इस घटना ने घाटी में लोगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। सेना और पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर एक आतंकी को मार गिराया। इस आतंकी के पास से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ है। इस आतंकी हमले की जांच के लिए दिल्ली से टीमें कश्मीर गई हैं। टीम का नेतृत्व घाटी में जांच एजेंसी की क्षेत्रीय शाखा से जुड़े एक पुलिस अधीक्षक ने किया था।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा..
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को सुरक्षा बलों और पुलिस को सतर्क रहने की आवश्यकता जताई और दावा किया कि निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा की ये घटनाएं यह धारणा बनाने के लिए की जा रही हैं कि जम्मू-कश्मीर में स्थिरता नहीं है। उन्होंने नागरिकों के खिलाफ हिंसा के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया और कहा कि प्रशासन सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
कश्मीर को अशांत दिखाने की कोशिश
जम्मू कश्मीर में यह पहली बार नहीं है, जब आतंकियों ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया हो। जम्मू रीजन और सोनमर्ग जैसे शांत इलाकों में आतंकी लंबे समय से दहशत फैलाने के लिए बड़ी साजिश कर रहे हैं। यह सामने आ रहा है कि गांदरबल आतंकी हमले के पीछे दुनिया में कश्मीर को फिर अशांत दिखाने का प्रयास किया गया है।इस पूरे हमले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है। इस संगठन ने अपना नाम बदलकर अब द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ नाम रख लिया है।
टारगेट किलिंग के जरिए दहशत फैलाने का प्रयास
टीआरएफ के आतंकी जम्मू कश्मीर में लगातार टारगेट किलिंग की कोशिश में है। रविवार देर रात जो हमला हुआ, उसके पीछे सिर्फ दहशत फैलाने का ही इरादा था।क्या कश्मीरी… क्या गैर कश्मीरी… क्या हिंदू और क्या मुसलमान… हमले का शिकार हुए 12 में से 5 लोग जम्मू-कश्मीर से हैं।जान गंवाने वाले डॉ. शाहनवाज, बडगाम के नईदगाम रहने वाले थे और यूपी की उस कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे, जो बडगाम-सोनमर्ग को जोड़ने के लिए टनल बना रही थी।घायल हुए मुश्ताक अहमद लोन पास के ही कंगन इलाके के प्रेंग के रहने वाले हैं। घायल हुए इशफाक अहमद भट सफापोरा के रहने वाले हैं। इसके अलावा जान गंवाने वाले शशि अबरोल डिजाइनर थे और जम्मू के रहने वाले थे। घायल हुए जगतार सिंह कठुआ के रहने वाले हैं।
साफ है कि आतंकियों ने गोलियां बरसाते समय कश्मीरी या गैर-कश्मीरी नहीं देखा… जो मिला, उन्होंने उसे ही मौत के घाट उतारने की कोशिश की। उनके निशाने पर गैर-कश्मीरी नहीं, भारतीय कश्मीर की तरक्की थी।
हमले के पीछे क्या है रणनीति?
दरअसल, जेड मोड़ टनल का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन यहां से 10 किलोमीटर दूर एशिया की सबसे लंबी सुरंग बन रही है। जोजिला सुरंग… जो श्रीनगर से लेह को जोड़ेगी और हर मौसम में खुली रहेगी। इससे चीन-पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई और भी तेज और पुख्ता तौर पर हो सकेगी।गगनगीर में हुआ हमला पाकिस्तान की ओर से जोजिला सुरंग का काम धीमी करने की साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।साफ है कि पाकिस्तान को कश्मीरियों की परवाह नहीं है। वैसे भी जम्मू-कश्मीर के लोगों ने शांतिपूर्ण और ऐतिहासिक मतदान से चुनाव पूरा कर दहशतगर्द पाकिस्तान को करारा तमाचा जड़ दिया है।अपनी बौखलाहट में उसने ये हमला करवाया।
पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों द्वारा जम्मू और कश्मीर में आतंक फैलाने की जो नई रणनीति उभर रही है, वो बेहद चिंताजनक है।खासकर जम्मू रीजन और सोनमर्ग जैसे शांत इलाकों में टारगेट किलिंग और आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा देखा जा रहा है। आतंकवादी संगठनों का उद्देश्य सिर्फ हिंसा और अस्थिरता पैदा करना ही नहीं है, बल्कि क्षेत्र के विकास कार्यों, राजनीतिक प्रक्रिया, और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बाधित करना भी हो सकता है। इसके पीछे रणनीति को 5 प्रमुख पॉइंट में समझा जा सकता है।
पर्यटन को रोकने की कोशिश
कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण टूरिज्म का एक प्रमुख केंद्र है। आतंकवादी संगठन टूरिस्ट्स और टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करके क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। टूरिज्म से स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होता है और इसका रुकना लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसलिए आतंकवादी संगठनों की कोशिश रहती है कि कश्मीर को पर्यटकों के लिए असुरक्षित दिखाया जाए।
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सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके स्थानीय युवाओं को रैडिकलाइज करने की कोशिशें की जा रही हैं। पाकिस्तान प्रायोजित संगठन ऐसे युवाओं को भर्ती कर रहे हैं, जो बेरोजगारी या अन्य कारणों से नाराज होते हैं। यह एक दीर्घकालिक रणनीति है, जिसके तहत स्थानीय आतंकवादी नेटवर्क तैयार किए जा रहे हैं, जो स्थानीय समाज में घुले-मिले रहते हैं और सुरक्षा बलों की पकड़ से बचने में सक्षम होते हैं।
सीमापार से हथियारों की सप्लाई और आतंक का समर्थन
पाकिस्तान की ओर से लगातार ड्रोन और अन्य माध्यमों से हथियारों की सप्लाई जारी है।सीमापार से नकली मुद्रा, हथियार और ड्रग्स जैसी सामग्रियों की तस्करी के जरिए आतंकवादियों को समर्थन दिया जा रहा है।इस नई रणनीति का उद्देश्य सुरक्षा एजेंसियों की क्षमताओं को कमजोर करना और आतंकवाद को एक लंबे समय तक सक्रिय रखना है।आतंकवादी संगठन सामाजिक और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देकर लोगों को बांटना चाहते हैं। इसके जरिए वे सामाजिक मेल-जोल और सामंजस्य को खत्म करने की कोशिश करते हैं, ताकि लोग एकजुट होकर शांति प्रक्रिया का समर्थन न कर सकें। यह रणनीति स्थानीय स्तर पर सरकार विरोधी और असंतोष फैलाने का काम करती है, ताकि आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन प्राप्त हो।
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