रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सशक्त भारत, मजबूत भारत के लिए आत्मनिर्भर भारत का निर्माण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा चुका है। पीएम विश्वकर्मा योजना आत्मनिर्भर भारत की कुंजी बनेगी। इस महत्वाकांक्षी योजना में सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास भी शामिल है।
बाबूलाल मरांडी शनिवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में पीएम विश्वकर्मा योजना की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में प्राचीन काल से हुनर की कमी नहीं रही लेकिन आजादी के बाद देश की प्राचीन हुनरमंद कारीगरों को आगे बढ़ने, उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में पहल नहीं की गई।
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना में पिछड़े, दलित, आदिवासी समाज के लोग ही सर्वाधिक शामिल हैं। इस योजना से गांव गरीब हुनरमंद पारंपरिक कारीगर आगे बढ़ेंगे। यह योजना उनके लिए प्रगति का सुनहरा अवसर लेकर आया है। यह योजना एक कारीगर को विकसित और मजबूत नही करेगी, बल्कि पूरे गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। गांव भी आत्मनिर्भर होगा।
क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत की प्राचीन कलाएं, हुनरमंद कारीगर, यहां की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ थे। गांव-गांव के इनकी कलाओं का सम्मान था। सामाजिक रीति-रिवाज में इनके बनाए सामग्रियों को बढ़ावा दिया गया। आज ऐसे ग्रामीण हुनर धन और प्रोत्साहन के अभाव में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए भारत की प्रगति में उनके योगदान को सुनिश्चित किया है।
प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि भारत की पहचान देश के हुनरमंद पारंपरिक कारीगरों से रही है। देश में रोजगार उपलब्ध कराने में ये पारंपरिक कारीगर बड़ी भूमिका निभाते रहे।आज देश में बढ़ती बेरोजगारी पारंपरिक रोजगार को प्रोत्साहित नहीं करने के कारण बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना सिर्फ एक परिवार को सबल नहीं बनाएगा, बल्कि रोजगार के भी अवसर उपलब्ध कराएगा।
भाजपा बिहार के प्रदेश महामंत्री एवं पीएम विश्वकर्मा योजना के प्रदेश प्रवासी मिथिलेश तिवारी ने पीएम विश्वकर्मा योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर प्रारंभ की गई पीएम विश्वकर्मा योजना एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए इसकी घोषणा की थी। 13 हजार करोड़ रुपये की इस योजना में 18 प्रकार के पारंपरिक व्यापार को जोड़ा गया है, जिसमें बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, टुलकिट निर्माता, सुनार, ताला निर्माता, कुंभकार, मूर्तिकार, चर्मकार, नाई, मालाकार, दर्जी, जाल बनाने वाले, राज मिस्त्री, बास्केट, गुड़िया, खिलौना बनाने वाले शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इसमें पंजीकरण के लिए पात्रता न्यूनतम 18 वर्ष है, जिन्होंने कोई सरकारी स्कीम में पहले ऋण नहीं लिया हो। उन्होंने कहा कि पहले चरण में आवेदक को प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये भत्ता एवं 15 हजार रुपये औजार खरीदने के लिए मिलेंगे। पहले चरण में रोजगार को बढ़ावा के लिए एक लाख रुपये की और भुगतान के बाद दो लाख रुपये की ऋण पांच प्रतिशत रियायती ब्याज दर पर मिलेंगे।