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कोडरमा। देश के विख्यात शिक्षण संस्थाओं में सैनिक स्कूल तिलैया सदा से ही अग्रगण्य रहा है। इसके कीर्तिमानों की एक लंबी परंपरा रही है और अपनी स्थापना काल से लेकर साठ वर्षों बाद, हीरक जयंती वर्ष को मनाते समय भी यह परंपरा कायम है। इस स्कूल का इतिहास जितना गौरवपूर्ण रहा है उतना ही दिलचस्प इसकी स्थापना का इतिहास भी रहा है।
भारत-चीन युद्ध के बाद स्वप्नद्रष्टा प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू को लगा कि हमारी रक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त बने, इसी चिंतन में उन्होंने हर राज्य में ऐसे स्कूलों की कल्पना की जो प्रत्येक छात्र में शिक्षा के साथ-साथ सैन्य मानसिकता का भी संचार करें तथा इन स्कूलों से समाज के हर वर्ग को ऐसी शिक्षा मिले जिससे वे सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक तौर से तैयार होकर राष्ट्र की रक्षा के लायक बने।