डोमचांच (कोडरमा)। थाना परिसर के जमीन समतलीकरण के नाम पर वहां से पत्थरों की बड़े पैमाने पर की गई निकासी का मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ने लगा है। इस पूरे मामले में उपायुक्त मेघा भारद्वाज की ओर से जिला खनन पदाधिकारी से पूरे मामले में जवाब तलब की गई है। पत्थरों की निकासी किए जाने एवं नियमों को ताक पर रखकर खनन विभाग की ओर से इसके आॅप्शन कराए जाने की शिकायत पर उपायुक्त की ओर से पत्थरों के निकासी कार्य को रोकने का निर्देश जारी करते हुए एसडीओ के नेतृत्व में एक जांच टीम का गठन किया गया था। टीम की ओर से दिए गए रिपोर्ट में पूरे मामले में खनन विभाग की ओर से लापरवाही बढ़ते जाने की बात कही गई है।
फिलहाल पत्थरों की खरीदारी करने वाले क्रशर को भी सील कर दिया गया है। जांच के निर्देश पर पर्दा डालने के लिए वहां बने गहरे गड्ढे को मिट्टी से काफी हद तक भराई कर दी गई है। वहीं खनन पदाधिकारी दरोगा राय ने बताया कि तत्कालीन उपायुक्त एवं एसपी के निर्देशानुसार ही वहां तोड़े गए पत्थर के नीलामी को लेकर नीलामी की प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। आरोप है कि पत्थर हटाने के नाम पर थाना परिसर के बड़े भाग में लगभग 10 से 15 फीट गड्ढे खोद डाले गए। जब जमीन का समतलीकरण किया जा रहा था तो इतने नीचे से पत्थरों का निकासी किए जाने का क्या मतलब है। वहां से तकरीबन 20,000 घन फिट पत्थरों का नीलामी को लेकर खनन कार्यालय द्वारा नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गई।
जिसके तहत वहां से निकासी किए गए पत्थरों को संतोष कुमार नामक एक व्यक्ति द्वारा लगभग 3 लाख रुपए की बोली लगाकर लिया गया था। शुरुआती दौर में पत्थरों की मशीनों से खुदाई शुरू करने के बाद जब यह पता चला कि यहां से निकासी किए जाने वाले पत्थर मामूली पत्थर नहीं है इनकी लाखों रुपए कीमत हो सकती है। इसके बाद वहां इसकी खुदाई पत्थरों के बजाय एक विशेष प्रकार के केमिकल के सहारे शिट के रूप में कटिंग कर की जाने लगी।