खूंटी। अखिल भारतीय सरना समाज समिति खूंटी की अगुवाई में सरना समाज के लोगों ने शनिवार को जदुर अखड़ा खूंटी में सोसोबोंगा की पूजा-अर्चना की और श्रद्धापूर्वक इससे संबंधित कहानी सुनी।
मौके पर सरना समाज के भीम सिंह मुंडा ने बताया कि समस्त आदिवासी मुंडा समाज में सोसोबोंगा की पूजा-अर्चना और कहानी सुनने को मुख्य पूजन अनुष्ठान माना जाता है। मान्यता है कि इस पूजन अनुष्ठान से सिंगबोंगा (सृष्टिकर्ता) की असीम कृपा प्राप्त होती है। घर-परिवार में सुख-शांति आती है और ग्रह-नक्षत्र का दोष दूर होता है। इस पूजा अनुष्ठान से बुरी नजर नहीं लगती, खेती किसानी अच्छी होती है, कीड़े-मकोड़ों का प्रकोप कम होता है, पशुधन स्वस्थ रहते हैं और हवा, पानी एवं धूप का संतुलन अच्छा होता है, जिससे जनजीवन स्वस्थ्यकर रहता है।
साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से भी रक्षा होती है। उन्होंने कहा कि सोसोबोंगा की प्रासांगिकता इस बात में है कि प्रकृति का उपयोग जीवन के सुरक्षार्थ हो। निजि स्वार्थपूर्ति के लिए धरती के अत्यधिक दोहन से बचा जाना चाहिए। जैव विविधता का संरक्षण सदा करना चाहिए। सृष्टि के निर्माण को अत्यधिक हानि नहीं पहुंचानी चाहिए। मानव द्वारा सृष्टि के खिलाफ आचरण करने के कारण ही आज धरती में ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल होती जा रही है। सोसोबोंगा ग्लोबल वार्मिंग को पैदा करने वाले आसुरी ताकतों को समाप्त करने के लिए सिंगबोंगा (सृष्टिकर्ता) के आवाहन का अनुष्ठान है।
इस धार्मिक आयोजन में मड़की मुंडा और उसके सहयोगियों द्वारा सोसोबोंगा की पूजा- अर्चना की गई और धार्मिक कहानी को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया।