पाकुड़। रविवार को तेजतर्रार पाकुड़ के तत्कालीन एसपी शहीद अमरजीत बलिहार को संहरणालाय के समीप बने स्मृति पार्क स्थित उनकी प्रतिमा पर जिले के उपायुक्त बरुन रंजन, एसडीपीओ अजीत कुमार विमल, अनुमंडल पदाधिकारी हरिवंश पंडित, मुख्यालय डीएसपी बैजनाथ प्रसाद सहित पुलिस संघ के अधिकारियों ने 2 मिनट का मौन रखा तथा शहीद अमरजीत बलिहार के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मौके पर पुलिस लाइन के जवानों ने बलिहार को शस्त्र सलामी दी।
शहीद एसपी के परिवार को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.। इस अवसर पर उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा कि शहीद अमरजीत बलिहार बहुत ही काबिल और तेजतर्रार एसपी थे। 2 जुलाई 2013 को तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक दुमका प्रिया दुबे के बैठक से भाग लेकर पाकुड़ लौटने के दौरान दोपहर करीब 1:30 काठी कुंड के जमुनी जंगल के पास नक्सलियों ने मुख्य सड़क अचानक वाहन को रोककर उन पर हमला कर दिया। ताबड़तोड़ गोलियां चलाई ।नक्सली मुठभेड़ में दोनों तरफ से फायरिंग हुई जिसमें एसपी अमरजीत बलिहार और उनके अंगरक्षक चालक सहित 7 लोग शहीद हुए थे। ऐसे वीर बहादुर एसपी को मैं नमन करता हूं। इनकी शहादत कभी बेकार नहीं जाएगी। उनकी स्मरण में बनी स्मृति पार्क को और वृहद रूप दिया जाएगा।
कौन थे एसपी अमरजीत बलिहार
14 अक्टूबर 1960 में जन्मे अमरजीत बलिहार बिहार रोहतास जिले के मूलनिवासी थे। 1983 में उन्होंने एम ए किया। 1986 मैं उन्होंने बीपीएससी परीक्षा पास की। बतौर डीएसपी पहली पोस्टिंग जहानाबाद में हुई इसके बाद मुंगेर कुटी जहानाबाद पटना राजगीर हवेली खड़कपुर लातेहार चक्रधरपुर फिर रांची पोस्टिंग हुई। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से 2003 में वे आईपीएस बने। मई 2013 में उनकी पाकुड पोस्टिंग हुई। 2005 से 2007 में लगातार माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के पश्चात वे माओवादियों के हिट लिस्ट में थे ।जब वह लातेहार में डीएसपी थे और नक्सलवाद के खिलाफ अपने कड़ी रुख के लिए लोकप्रिय थे। मई 2013 में पाकुड़ के एसपी का पदभार ग्रहण किए थे। अमरजीत बलिहार ने अपनी शिक्षा रांची में पूरी की थी । उनका परिवार रांची में रहता था ।उनके परिवार में एक पत्नी सुमनलता एक बेटा और दो बेटियां हैं ।
कैसी हुई हत्या
प्राप्त जानकारी के अनुसार वे तत्कालीन दुमका डीआईजी के बैठक से वापस आ रहे थे ।किसी अपनों ने दगा दिया। नक्सलियों ने उन्हें 2 जुलाई 2013 को काठी कुंड थाना क्षेत्र के जमुनी गांव के पास लगभग 50 की संख्या में चारों ओर से घेर कर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी । जिसमें एसपी अमरजीत बलिहार सहित उनके अंगरक्षक एवं अन्य 5 जवान शहीद हो गए। इसके पूर्व उन्होंने अपने परिवार से बातचीत की थी। अंतिम क्षणों में वे अमलापाड़ा के तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत मिंज से फोन पर बातचीत की थी ।फिर गोलियों की बौछार से उनकी आवाज सदा के लिए दब गई। इस संबंध में पूर्व थाना प्रभारी अशोक कुमार के बयान पर सात नामजद सहित 30 से 35 नक्सलियों के खिलाफ हत्या व सीएल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था ।जांच के दौरान पुलिस ने 7 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
दुमका के तत्कालीन चतुर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश थाना कांड संख्या 55 / 2013 एवं सत्र वाद संख्या 232/ 13 अशोक कुमार बनाम सतन बेसरा आदि मामलों में दोनों पक्ष की ओर से जोरदार बहस की गई ।मामले में सात नामजद आरोपियों में सतनाम बास्की ऊर्फ ताला दा और प्रवीण दा को दोषी करार दिया गया जबकि अन्य आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया गया और उन्हें रिहा कर दिया गया । अदालत ने आरोपी ताला दा और सनातन बासकी को तत्काल फांसी की सजा सुनाई थी।