पलामू। जिले में सांप के डंसने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। इस वर्ष जुलाई तक इसके आंकड़े 128 तक पहुंच गए हैं। इनमें तीन की मौत हुई है। सात गंभीर प्वाइजनस रोगियों की जान बचायी गयी है। अन्य 118 रोगियों को एंटी वैनम का इंजेक्शन देकर ठीक किया गया है।
जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार ने शुक्रवार को एमआरएमसीएच स्थित गोलघर में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि अभी तक जिलेभर में 128 का इलाज सांप के डंसने के बाद किया गया है। इनमें से 7 प्वाइजनस केस को ठीक किया गया है। सिविल सर्जन ने बताया कि सांप के डंसने पर किसी भी स्थिति में श्रम ना करें। इससे जहर के तेजी से फैलने की संभावना बनी रहती है। रोगी को सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाए और पूरी जानकारी डॉक्टर को दें। डॉक्टर पर तत्काल दवा देने के लिए दबाव न बनाएं। जैसे ही सांप काटने के लक्षण दिखेंगे, तुरंत दवा दी जाएगी और रोगी तत्काल ठीक हो जाएगा।
डॉ. अनिल ने कहा कि प्वाइजनस और नॉन प्वाइजनस मामले की जानकारी लक्षण आने के बाद ही पता चलता है और तब दवा देने का प्रावधान है। जानकारी के अभाव में रोगी और उनके परिजन डॉक्टर पर दबाव बनाने लगते हैं और इसका परिणाम उल्टा सामने आता है। स्नैक बाइट का इनजेक्शन केवल सरकारी अस्पताल में ही उपलब्ध है। इसलिए सांप के डंसने पर कोशिश करना चाहिए कि रोगी को सीएचसी, सदर अस्पताल या एमआरएमसीएच लेकर पहुंचे। झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास के चक्कर में ना पड़े। उन्होंने बताया कि एंटी वैनम का इनजेक्शन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है।
19 लाख लोगों को दी जाएगी फाइलेरिया की दवा
सिविल सर्जन ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में 10 से 25 अगस्त तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम एमडीए-आईडीए चलाया जाएगा। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जिसकी वजह से प्रभावित व्यक्ति का हाथ-पांव आदि प्रभावित अंग फूल जाते हैं। इससे बचाव के लिए निर्धारित तिथि को उम्र व उंचाई के अनुसार आईवरमेकटीन, डीईसी व अल्बेंडाजोल गोली का खुराक खिलाया जाएगा। सभी आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, पीएचसी, सीएचसी, वार्ड कार्यालय व अन्य सार्वजनिक स्थानों को बूथ के रूप में चिन्हित करते हुए दवा खिलाने का कार्यक्रम चलाए जाने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचे इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। कार्यक्रम के दौरान प्रथम दिन बूथ पर दवा का सेवन कराया जाएगा। इसके बाद घर-घर जाकर दवा की एकल खुराक खिलाई जाएगी। इसमें एक से दो वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को डीईसी व आईवरमेकटीन दवा की खुराक नहीं देनी है। साथ ही गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को दवा का सेवन नहीं करना है। इसके अलावा खाली पेट भी दवा का सेवन करने से बचना है।