रांची। झारखंड को मानसून ने इस बार फिर से दगा दे दिया है। राज्य के 21 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। राज्य से मानसून की बेरुखी का असर यह है कि 24 जुलाई तक राज्य में 434.7 एमएम की जगह मात्र 236.3 एमएम वर्षा हुई है, जो सामान्य से 46 प्रतिशत कम है। पिछले 24 घंटों में सबसे अधिक वर्षा 36 एमएम बोकारो में रिकॉर्ड किया गया है जबकि अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेसि. गोड्डा का रहा है। राज्य में सामान्य से कम वर्षा होने के कारण 12.79 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है।
रांची मौसम केंद्र के प्रभारी निदेशक अभिषेक आनंद ने कहा है कि अभी मानसूनी टर्फ लाइन झारखंड के दक्षिण में ओडिशा के ऊपर से गुजर रही है। इसी वजह से झारखंड में मानसून की स्थिति अभी कमजोर है।अभिषेक आनंद ने बताया कि पश्चिमी मध्य और उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन रहा है, जो लो प्रेशर में तब्दील होगा। इसके प्रभाव से 28 जुलाई से राज्य में अच्छी मानसूनी वर्षा की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 26 और 27 जुलाई को राज्य में कुछ स्थानों पर और 28 जुलाई को कई स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा हो सकती है।
उन्होंने बताया कि दक्षिणी और मध्य झारखंड में हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा होगी। राज्य के शेष भाग में हल्की वर्षा होने की बात कही। मौसम केंद्र के अनुसार 28 जुलाई से एक बार फिर मानसूनी गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। मौसम केंद्र के अनुसार राज्य में 24 में से सिर्फ तीन जिले गोड्डा, सिमडेगा और साहिबगंज में सामान्य वर्षा हुई है जबकि रांची सहित बाकी के 21 जिलों में सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे नौ जिले हैं, जहां वर्षापात की कमी 50 प्रतिशत से भी अधिक है। इनमें चतरा (76 प्रतिशत), धनबाद (66 प्रतिशत), गिरिडीह (7 प्रतिशत), हजारीबाग (55प्रतिशत), जामताड़ा (68प्रतिशत), कोडरमा (55प्रतिशत), लातेहार (58प्रतिशत), लोहरदगा (61 प्रतिशत) और सरायकेला खरसावां (52 प्रतिशत)।
कृषि निदेशालय से प्राप्त आकंड़ों के अनुसार राज्य में जुलाई महीने में 319.4 मिमि. वर्षा की जगह मात्र 122.3 मिमि. वर्षा हुई है, जो सिर्फ 38.28 प्रतिशत है। जुलाई महीने में सामान्य से लगभग 61.72 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जुलाई महीने में बेहद कम वर्षापात का प्रभाव खेती पर साफ दिख रहा है। राज्य में 18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धानरोपनी का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें से 24 जुलाई तक महज 02 लाख 30 हजार 143 हेक्टेयर (12.79 प्रतिशत) में ही धान का आच्छादन हुआ है।