बेगूसराय। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार सरकार के एक-एक योजनाओं की पोल खोलने शुरू कर दी है। शुक्रवार को उन्होंने बिहार सरकार पर स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन खिलाने में असफल रहने का आरोप लगाया है।
गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया पर कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार मध्याह्न भोजन योजना के लिए आवंटित धन के एक महत्वपूर्ण हिस्से का उपयोग करने में विफल रही है। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा प्रदान दिए गए दो हजार करोड़ में से आश्चर्यजनक रूप से 250 करोड़ अभी भी खर्च नहीं किए गए हैं।
यह चिंताजनक स्थिति उन वंचित बच्चों के कल्याण के संबंध में गंभीर चिंता पैदा करती है, जो अपने बुनियादी पोषण और भरण-पोषण के लिए इन भोजन पर निर्भर हैं। मध्याह्न भोजन योजना बिहार में आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के अनगिनत बच्चों के लिए एक जीवन रेखा है। इसका उद्देश्य उन्हें स्कूल के घंटों के दौरान पौष्टिक भोजन प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य ना केवल उनकी भूख को समाप्त करना है। बल्कि उन्हें नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना है। कुप्रबंधन और आवंटित धनराशि को उचित रूप से खर्च करने में विफलता के कारण इन बच्चों को उनके बहुत जरूरी भरण-पोषण से वंचित होने का खतरा है।
250 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाने के कारण, सवाल उठता है कि बिहार सरकार इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने में असमर्थ क्यों है। बिहार की स्थिति देखते हुए इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कई परिवारों द्वारा सामना की जा रही वित्तीय बाधाओं को देखते हुए स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है।
मध्याह्न भोजन योजना एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करती है। यह सुनिश्चित करती है कि सबसे कमजोर बच्चे भूखे नहीं रहें और उन्हें शिक्षा के माध्यम से बेहतर भविष्य का अवसर दिया जाए। धन का गलत आवंटन राज्य सरकार की ओर से उचित योजना और जवाबदेही की कमी की ओर इशारा करता है। यह पारदर्शिता के बारे में भी चिंताएं पैदा करता है और इन फंडों को कैसे प्रबंधित किया गया है, इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।
यदि बिहार के भूखे बच्चों को खाना खिलाने के लिए दिया गया पैसा अप्रयुक्त रहता है, तो यह अपने कर्तव्य को पूरा करने और अपने सबसे कमजोर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की विफलता को दर्शाता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना बिहार सरकार का दायित्व है।
बाधाओं की पहचान कर इस तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रम को कुशलतापूर्वक लागू किया जाना चाहिए। अव्ययित धन के पीछे के कारणों की व्यापक जांच शुरू की जानी चाहिए। अधिकारियों को यह गारंटी देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि मध्याह्न भोजन योजना के लिए आवंटित प्रत्येक रुपया इच्छित लाभार्थियों तक पहुंचे, जिन बच्चों को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
गिरिराज सिंह ने कहा है कि पारदर्शिता और जिम्मेदार शासन की मांग करना हमारा अधिकार है। खासकर जब यह हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्गों की भलाई से संबंधित हो। ऐसा करके हम उन अनगिनत बच्चों के भविष्य की रक्षा करने का प्रयास कर सकते हैं जो बेहतर और उज्ज्वल कल के लिए इस कार्यक्रम पर निर्भर हैं।