मरकच्चो (कोडरमा)। थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों, कस्बो, जंगलों के पेड़ो में कायम है पुष्पाराज, धड़ल्ले से कट रहे है पेड़, खत्म हो रहे है जंगल, इन दिनों मरकच्चो थाना क्षेत्र के जंगलों व पेड़ो में पुष्पराज का साम्राज्य दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। जो हर बार वन विभाग के कर्मी यही बोल रहे है पुष्पराज रुकेगा नहीं यहां एक दो नही कई पुष्पा है, जो जंगलों को काटते हुवे कह रहे है पुष्पाराज रुकेगा नही, वन विभाग के प्रयासों को ठेंगा दिखाते हुवे लगातार तस्कर हावी हो रहे है और धड़ल्ले से पेड़ो को काटकर इसकी तस्करी कर रहे है। हाल में आई लकड़ी तस्करी से जुड़ी फिल्म पुष्पाराज, फिल्म देख आपने खूब तालियां बजाई होगी, लेकिन आज हम आपको फिल्म के नही रियल लाइफ पुष्पाराज के बारे में बताएंगे। वन विभाग हरेक जंगल क्षेत्र में वन रक्षा समिति का गठन की है।
वनरक्षा के लिए वनपाल भी विभाग के पास है तो फिर लकड़ी कटने का सूचना वन विभाग को पहले क्यों नही मिलती है। खैर इन सवालों के पर्दे के पीछे की कहानियां है जो दाल में कुछ काली चीजो की तरफ इशारा कर रही है।
मरकच्चो थाना क्षेत्र के वन मंडल के वन परिक्षेत्र अंतर्गत बेहरवा जंगल, नादकरी, हरलाडीह में पेड़ो को तस्कर बेखौफ हो कर दिन दहाड़े पेड़ काट रहे हैं और विभाग को शायद इसकी भनक तक नहीं है या फिर यूँ कहें सब कुछ जानते हुए विभाग चुप्पी साधी हुई है, नतीजतन तस्करों के हौसले इतने बुलंद है की दिन के उजाले में भी पेड़ो की कटाई कर परिवहन करने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। खास बात तो यह है कि यह पूरा खेल क्षेत्र के वन कर्मियों के इशारे पर धड़ल्ले से जारी है।
ग्रामीणों की माने तो थाना क्षेत्र के गांव, कस्बो व जंगलो में हरे भरे पेड़ों की कटाई इन दिनों तेजी से चल रही है। कहीं-कहीं तो वन विभाग के लोग सुविधा शुल्क लेने के लिए जिस स्थान पर पेड़ काटा जा रहा है वहां पहुंच जाते हैं। फिर क्या वन माफियाओं के आदमी उनकी सेवा कर देते हैं और वह भी चुप्पी साधे वाहनों में सवार होकर निकल पड़ते हैं। अवैध कमायी के चक्कर में वन विभाग के अधिकारी इन व्यापारियों को खुली छूट दे रखे हैं। वहीं हरा पेड़ कटता देख ग्रामीण अपने स्तर पर इसकी शिकायत विभाग से करते रहते हैं, लेकिन सुनवाई एक नहीं होती हैं।
हरा पेड़ कटता देख ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है, लेकिन विडंबना है वन विभाग का लकड़ी तस्करों पर इस तरह का नजरें साफ तौर पर कहीं न कहीं तस्कर और विभाग की मिली-भगत को साबित करता है। पेड़ों को काट वन माफिया की अपनी जेब गर्म की जा रही है। जिसे रोकने के बजाय सभी जिम्मेदार मुखदर्शक बने हुए है। वन विभाग का पुष्पाराज खत्म करने के दावे कितने सार्थक होंगे यह तो आने वाला समय बताएगा।