कोडरमा। केन्द्र की राजभाषा हिन्दी और देवनागरी लिपि में होगी। यह निर्णय 14 सितम्बर,1946 को लिया गया था । 14 सितम्बर को ही हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार कवि राजेन्द्र सिंह राजेंद्र सिंह की जंयती तथा उनका 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को चुना गया। वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी ।
इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343 (1) में वर्णित किया गया हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1974 को नागपुर में आयोजित किया गया था और तब से ही इस दिन को ‘विश्व हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी की उपयोगिता को वैश्विक पटल पर दिखाना है, यहां हम हिंदी भाषा के महत्व को इस प्रकार जानेंगे। विश्व ‘हिन्दी’ की उत्पत्ति ‘हिन्द’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है सिन्धु नदी की भूमि । विश्व के 180 से अधिक यूनिवर्सिटीज में हिंदी पढ़ाई जाती है, जिनमें से 45 अमेरिकी यूनिवर्सिटीज हैं। स्पेनिश, मंदारिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पहली भाषा है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें आप जो लिखते हैं वह वही होता है जो आप उच्चारण करते हैं। कई हिंदी शब्द हैं जैसे ‘योग’, ‘मंत्र’, ‘अवतार’, ‘कर्म’ आदि हिंदी से लिए गए हैं, अंग्रेजी में उपयोग किए जाते हैं और इंग्लिश डिक्शनरी में शामिल हैं। संयुक्त अरब अमीरात में हिंदी को तीसरी ऑफिशियल अदालती भाषा के रूप में अपनाया गया है। वहीं पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पहले नेता थे जिन्होंने 1977 में इंटरनेशनल आडियंस को हिंदी में एड्रेस किया था।
भारत के विदेश मंत्री के रूप में, अटल बिहारी ने यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली को हिंदी में एड्रेस किया था। वर्तमान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषण का प्रयोग कर हिंदी भाषा को विस्तार देने का काम किया है। हिंदी के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं! अंग्रेजी भाषा का प्रयोग सभी स्थानों पर किया जाता है यहां तक की भारत में आयोजित अधिकतर परीक्षाएं अंग्रेजी में आयोजित किए जाते हैं! यही नहीं साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवारों की सफल सूची बनाने में उनके अंग्रेजी भाषा कौशल को ज्यादा महत्व दिया जाता है जो की दुर्भाग्यपूर्ण है! भारत के ही दक्षिणी भूभाग और उत्तर पूर्व में इस भाषा को लेकर काफी विरोध नजर आता है!
हिंदी भाषा बोलने वाले नागरिकों को महाराष्ट्र गुजरात कर्नाटक तमिलनाडु केरल आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में द्वयं दर्जे का नागरिक समझा जाता है! इन क्षेत्रों में कई बार उन्हें प्रताड़ित किया जाता है महज इस बात पर कि वह हिंदी बहुल क्षेत्र से आते हैं! ऐसे में देखा जाए तो हिंदी अपने ही देश में तिरस्कृत और अपमानित होती हुई नजर आती है! हिंदी भाषा की गरिमा को प्रतिस्थापित करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है! मुझे लगता है कि महज हिंदी दिवस का आयोजन कर लेने मात्र से हिंदी का प्रचार प्रसार संभव नहीं है!
शैलेंद्र कुमार सिंह
प्रिंसिपल मॉडर्न पब्लिक स्कूल, झुमरी तिलैया, कोडरमा