नई दिल्ली। केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव जीतीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण की। शपथ लेने के बाद प्रियंका गांधी को राहुल गांधी ने गले लगाया। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते प्रियंका गांधी और नांदेड़ से चुनकर आए रवींद्र चव्हाण ने शपथ ली। जवाहर लाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित के बाद पहली बार नेहरू-गांधी परिवार के भाई-बहन की एक और जोड़ी सदन में नजर आएगी। प्रियंका ने हिंदी और रविंद्र ने मराठी में शपथ ली।
प्रियंका गांधी नेहरू परिवार की 16वीं सदस्य हैं जो लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं। देश के संसदीय इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब लोकसभा में गांधी परिवार का कम से कम एक सदस्य न पहुंचा हो। ऐसे भी मौके आए हैं जब गांधी-नेहरू परिवार से जुड़े 5-5 सदस्य लोकसभा में एक साथ पहुंचे।
भाई से भी आगे निकली बहन, 4 लाख से भी अधिक मार्जिन से प्रियंका गांधी ने जीता चुनावी रण
केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने इस सीट से बहुत ही बड़े अंतर से जीत हासिल की। प्रियंका गांधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 4,10,931 वोटों के अंतर से हराया। उन्होंने सीपीआई उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को हराया। प्रियंका गांधी का यह पहला चुनाव था, जहां उन्हें इस उपचुनाव में 622338 वोट मिले। जबकि सत्यन मोकरी को 211407 वोट मिले। वहीं, तीसरे स्थान पर भाजपा की नव्या हरिदास रहीं। जिन्हें 1 लाख 9 हजार 939 वोट मिले। मालूम हो कि ये सीट कांग्रेस नेता और प्रियंका के भाई राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से खाली हुई थी। तब राहुल ने अमेठी से सांसद बने रहने का फैसला किया था।
दोनों के शपथ लेने के बाद प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्ष ने संभल और अडाणी के मुद्दे पर हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही को अपराह्न 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राहुल और प्रियंका की मां सोनिया गांधी लंबे समय तक लोकसभा सांसद रही हैं। फिलहाल वो राजस्थान से राज्यसभा की सांसद हैं। ऐसा पहली बार होगा जब गांधी परिवार मां और उनके दो बच्चे एक साथ सांसद होंगे। प्रियंका और राहुल के एक साथ सदन में बैठते ही एक और इतिहास दोहराया गया। 71 साल पहले 1953 तक जवहार लाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की भाई बहन की जोड़ी सदन में नजर आती थी। अब 71 साल बाद फिर से नेहरू-गांधी परिवार के भाई बहन साथ नजर आए।
1980: पहली बार मां-बेटे की जोड़ी संसद पहुंची
साल 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़े। इस बार उन्हें जीत मिली। वहीं, उनकी मां इंदिरा गांधी रायबरेली और आंध्र प्रदेश के मेंडक से चुनाव लड़ीं और दोनों जगह जीतीं। पहली बार मां-बेटे की जोड़ी संसद पहुंची। चुनाव के बाद इंदिरा ने रायबरेली सीट छोड़ दी। यहां उप चुनाव हुए तो नेहरू परिवार से ही जुड़े अरुण नेहरू यहां से चुनाव लड़े और जीते। अरुण नेहरू उमा नेहरू के पोते थे। वही उमा नेहरू जो 1951 और 1957 में जीतकर लोकसभा पहुंची थीं। इसी तरह इंदिरा की मामी शीला कौल भी एक बार फिर लखनऊ से जीतने में सफल रही थीं। महज एक चुनाव बाद ही लोकसभा में नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़कर चार हो गई थी।
चुनाव नतीजों के चंद महीने बाद ही इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी की विमान हादसे में मौत हो गई। संजय के निधन के बाद उनके छोटे भाई राजीव गांधी ने अमेठी सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की और लोकसभा पहुंचे।
इस हादसे चार साल बीते थे कि नेहरू-गांधी परिवार पर और बड़ा संकट आया। संकट कांग्रेस पर भी आया। पार्टी की सबसे बड़ी नेता और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को हत्या हो गई। इंदिरा की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की। राजीव अमेठी, अरुण नेहरू रायबरेली और शीला कौल लखनऊ लोकसभा सीट से जीतने में सफल रहीं।
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