नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को साल 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी 8 पीएसी जवानों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान दोषी जवानों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद ये जवान छह साल से भी ज्यादा समय से जेल में हैं। उन्होंने कहा कि इन जवानों को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्हें दोषी करार दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए 31 अक्टूबर, 2018 को इस मामले में 16 पीएसी जवानों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट ने सबूतों के अभाव में पीएसी जवानों को बरी किया था। इस घटना में मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट ने 21 मार्च, 2015 को संदेह का लाभ देते हुए हत्या के आरोपित 16 पीएसी कर्मियों को बरी कर दिया था। तीसहजारी कोर्ट ने कहा था कि 42 लोगों की हत्या के मामले में आरोपितों की पहचान के लिए बचाव पक्ष पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर सका।
इन जवानों पर आरोप था कि 1987 में उन्होंने 42 मुस्लिम युवकों को उनके घरों से उठाया और पास ही ले जाकर उनकी हत्या कर दी। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी। सीबीसीआईडी ने 7 साल बाद 1994 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। पहले ये मामला गाजियाबाद के कोर्ट में चल रहा था, लेकिन 2002 में दंगा पीड़ितों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया था।