कोडरमा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि जब देश 2047 में स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाए तो भारत एक विकसित, आत्मनिर्भर और समर्थ राष्ट्र की पहचान बना चुका हो। अगर प्रधानमंत्री के रूप में इनके कार्यकाल की समीक्षा करें तो स्पष्ट होता है कि मोदी जी के नेतृत्व में सरकार का एक एक कदम विकसित भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा है। संसद में आदरणीया राष्ट्रपति के अभिभाषण और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2024 दृ 25 के अंतरिम बजट में भी मोदी सरकार की वही दृष्टि और प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जोर देश के हर व्यक्ति तक न्यूनतम गरिमामय जीवन के लिए आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने पर रहा। शौचालय, आवास, पेयजल, बिजली, स्वच्छ ईंधन, चिकित्सा सुविधा, स्वरोजगार के अवसर, बेहतर शिक्षा और हुनर को हौसला आदि ऐसी चीजें हैं जो हर आदमी की बुनियादी जरूरत है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के छह दशक बाद भी इन सुविधाओं से देश की बड़ी आबादी वंचित थी। मोदी सरकार ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों तक चरणबद्ध तरीके से ये सुविधाएं पहुंचाई। खासियत यह रही कि इन सुविधाओं को पहुंचाने के क्रम में धर्म, जाति, क्षेत्र या भाषा के आधार पर कोई विभेद नहीं किया और हर योजना के लिए एक टाइम फ्रेम तय किया। ध्यान रखा गया कि वंचितों को वरीयता देते हुए विकास का लाभ सबको मिले और पूरा मिले।
अब प्रधानमंत्री का फोकस चार प्रमुख वर्गों यानी गरीब, महिलाएं, युवा एवं अन्नदाता (किसान) को ऊपर उठाने पर है। पिछले 10 वर्षों के दौरान सरकार ने 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर आने में मदद की। पीएम-जनधन खातों के उपयोग से बैंक खातों में 34 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष हस्तांतरण हुआ और इससे सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई। हमारी समृद्धि युवाओं को पर्याप्त रूप से साधन संपन्न करने और सशक्त बनाने पर निर्भर करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से परिवर्तनकारी सुधार लाए जा रहे हैं।
उदीयमान भारत के लिए पीएम स्कूल (पीएम श्री) में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो रही है, और बच्चों का समग्र और चहुंमुखी विकास किया जा रहा है। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार अनवरत 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के सुस्पष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम कर रही है। अंतरिम बजट में भी उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पर्याप्त और सुनिश्चित प्रावधान हैं।