रांची। पलामू जिले के बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई मुठभेड़ की जांच कर रही सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर दी है। इसकी जानकारी मुठभेड़ में मारे गये पलामू जिले के सदर थाना क्षेत्र के बकोरिया निवासी उदय यादव के पिता जवाहर यादव को दी है।
जवाहर यादव ने सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि सीबीआई की ओर से मामले की सही तरीके से जांच नहीं करने, मामले की लीपापोती करने तथा सच्चाई को छुपाने के निर्णय से मैं तथा मेरा परिवार काफी असंतुष्ट हैं। हम लोग इस निर्णय के खिलाफ न्यायिक लड़ाई जारी रखेंगे। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगे। 10 निर्दोष व्यक्तियों की हत्या करने के दोषी लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करना गंभीर चिंता का विषय है। हमें तथा हमारे परिवार के लोगों को सीबीआई से न्याय तो नहीं मिला,पर हमें इस देश की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। हम लोग न्याय पाने के लिए हर सक्षम न्यायालय की शरण में जाएंगे। दोषी लोगों को सजा दिलाने का हर संभव प्रयास करेंगे।
सीआइडी पर उठा सवाल तो हाइकोर्ट जांच सीबीआइ को सौंपी
पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में सीबीआई दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी। यह प्राथमिकी झारखंड हाई कोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी। मामले की जांच कर रही सीआइडी पर सवाल उठने और सीबीआई से जांच कराने की मांग उठने के बाद हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा सीबीआई काे सौंपा था। सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी थी कि मारे गये 12 लोगों में से सिर्फ डॉ आरके उर्फ अनुराग के अलावा किसी का कोई नक्सल रिकॉर्ड नहीं था।
बकोरिया कांड की जांच कर रही सीबीआई टीम के सामने घटना की प्राथमिकी दर्ज करनेवाला पुलिस अफसर मो रुस्तम भी अपने बयान से पलट गया था। मो रुस्तम ने अपने बयान में दारोगा हरीश पाठक के बयान का समर्थन किया था। साथ ही कहा था कि उसे सीनियर अफसरों ने लिखी हुई प्राथमिकी दी थी, जिस पर उसने सिर्फ हस्ताक्षर किया था।
इनाम की राशि भी बांटी गयी
बकोरिया की कथित मुठभेड़ के बाद दिन 9 जून 2015 को तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय, तत्कालीन एडीजी अभियान एसएन प्रधान, स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता सहित अन्य सीनियर पुलिस अफसर हेलीकॉप्टर से बकोरिया पहुंचे थे। वहां मारे गए लोगों के अफसरों ने फोटो खिंचवाई थी। डीजीपी ने वहां मौजूद जवानों को लाखों रुपये के नकद इनाम के तौर पर बांटे थे।