गुमला। गुमला जिला के बसिया प्रखंड स्थित धनसिंह जलाशय परियोजना में मत्स्य पालन कर नीली क्रांति को बढ़ावा देने की ओर जिला प्रशासन ने कदम बढ़ा दी है। मत्स्य पालन से जहां पलायन रूकेगा। वहीं मत्स्य पालकों व उसे जुडे समूह की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और बड़े पैमाने पर लोगों को घर पर ही रोजगार मिलेगा। इतना ही नहीं सरल व सस्ते दामों में बाजार में मछल्ली उपलब्ध होगा। जिसे कुपोषण को दूर करने में भी सहयोग मिलेगा। एससीए मद से अकांक्षी जिला परियोजना के तहत करोड़ों की लागत से धनसिंह जलाशय परियोजना में केज एकवा कल्चर की शुरूआत अक्टूबर माह 2022 में किया गया। जिसमें मत्स्य पालन हेतु 12 बैटरी के 48 केज, हाई प्रोटीन युक्त मत्स्य आहार एवं केज रक्षा हेतु 6 केज हाउस का निर्माण किया गया। जलाशय के केज में सुगमता पूर्वक आने एवं जाने हेतु एक मोटर बोट, 6 पैडल केज, मत्स्य पलकों को जलाशय के केज में सुरक्षित रूप से कार्य करने हेतु 50 लाइफ जैकेट, सुगमता पूर्वक नाव की आवाजाही हेतु पोंटून प्लेटफार्म का निर्माण किया गया।
साथ ही 12 सोलर लाइट(प्रत्येक केज में 2 सोलर लाइट) का भी अधिष्ठापन किया गया है। इस केज में पिछले वर्ष अक्टूबर के माह में बीज संचयन का कार्य किया गया था। वर्तमान में मछलियों की औसतन वजन 600 से 700 ग्राम की हो गई है। आगामी 2 माह के अंदर मछलियां बिक्री हेतु तैयार हो जाएंगी। प्रत्येक केज में लगभग 4500 किलो मछली के उत्पादन होने की संभावना है। कुल 48 केज में 216000 किलो ग्राम मत्स्य उत्पादन की संभावना है। जिससे लगभग 2 से 3 करोड़ की नेट प्रॉफिट मत्स्य पालकों के समूहों को मिलेगी । जिसका उपयोग उक्त समूह अगले साइकिल के मत्स्य पालन के लिए करेंगे। साथ ही अपने आर्थिक स्थिति को एक उन्नत प्रतिरूप देंगे। इस दौरान उपायुक्त द्वारा तैयार मछलियों के बिक्री हेतु भी मार्केट लिंकेज तैयार कर लिया गया है ताकि मत्स्य उत्पाद के बाद उसकी बिक्री में कोई समस्या न हो।
नक्सल प्रभावी सुदूरवर्ती क्षेत्र में स्थित धनसिंह जलाशय में इस प्रकार के केज एक्वाकल्चर के अधिष्ठापन से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के समुदाय को स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं आजीविका का साधन उपलब्ध कराना जिला प्रशासन द्वारा एक बेहतरीन कदम हैं। इस पहल से न केवल उक्त समुदाय के लोगों के आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। उक्त केज कल्चर के सफलता के पश्चात जिले के अन्य जलाशयों में भी इस प्रकार के केज कल्चर को बढ़ावा देने हेतु कार्य किये जाने पर विचार किया जा रहा है। उपायुक्त सुशांत गौरव के मार्गदर्शन में गुमला जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य योजना अंतर्गत तालाब एवं जलाशयों में बत्तख मछली पालन निजी क्षेत्र के तालाबों में झींगा पालन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत मात्स्यिकी क्षेत्र में ग्रो आउट तालाब निर्माण ,बायोफ्लॉक तालाब निर्माण, बायोफ्लॉक टैंक निर्माण, फीस कियोस्क को भी काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा