कोडरमा। विश्वभर में कोडरमा की स्वर्णिम पहचान का इतिहास माइका यानी अबरख रही है। कोडरमा के भू-गर्भ में दुनियां की सबसे उच्च कोटि का अबरख (माइका) कोडरमा के खदानों से ही निकलता था। 1980 के बाद से फाॅरेस्ट एक्ट के प्रभावशाली होने के कारण माइका कारोबार प्रभावित हुई, धीरे-धीरे माइका कारोबार सिमट गई। उक्त बातें ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा। वहीं उन्होंने कहा कि ज्यादातर माइका खदान वनक्षेत्र में क्रियाशील थी। माइका खदान के बंद होने के बाद माइका खदान के बाहर प्रचुर मात्रा में माइका का अवशेष (डस्ट) डंप किया गया था या फेंका गया था, जो उसवक्त माइका खदान संचालक के लिए अनुपयोगी था। इसे स्थानीय भाषा में ढिबरा कहा जाता था।
ढिबरा को लेकर सरकारी दस्तावेजों में माइका के 6 इंच से नीचे के आकार को ढिबरा के रूप में उल्लेखित किया गया है। जंगली क्षेत्र में जहां पूर्व में माइका खदान संचालित था या गोदाम व ट्रांसपोर्ट सर्विस पाॅइंट सक्रिय था, उक्त स्थल पर माइका का डस्ट डंप होने से पहाड़नुमा स्थल के रूप में विकसित हो गया था। इन्ही स्थलों पर ग्रामीण व ढिबरा मजदूर ढिबरा चुनकर अपना जीवनयापन पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे है। प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन पर रोकथाम लगाने के लिए कारवाई का संघ समर्थन करती है, लेकिन ढिबरा को लेकर पूर्व में चुनने, बेचने और भंडारण करने को लेकर सकारात्मक गाइडलाइन व अधिकार समाहित था। जिससे सरकार को राजस्व भी प्राप्त होता था। गोदाम में भंडारण के लिए प्रशासन की ओर से लाइसेंस निर्गत किया गया था। मगर वर्तमान समय में ढिबरा को लेकर कोई भी नीति लागू नही है, जिससे ढिबरा मजदूरों के रोजी-रोटी या आर्थिक संसाधन को संरक्षित किया जा सके।
ढिबरा व्यवसाय को लेकर ढिबरा मजदूरों का संघर्ष विगत कई सालों से अनवरत जारी है। जिसके पश्चात् 2021 में झारखंड राज्य लघु खनिज समनुदान (संशोधन) के जरिये जेएसएमडीएस के माध्यम से ढिबरा खरीद-बिक्री, भंडारण, परिवहन को लेकर अधिसूचना जारी हुई थी। बाद में 17 जनवरी 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर इस नीति का शुभारंभ किया था। मगर दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि इस नीति को जमीन पर अबतक लागू नही किया गया। यह पूर्णतः सरकार और प्रशासन की जिम्मेवारी है कि ढिबरा को लेकर निर्मित नीति को प्रभावी ढंग से लागू कराया जाए। जिससे कोडरमा के लाखों ढिबरा मजदूर ढिबरा से जीवनयापन कर सकें। इन तमाम मुद्दे पर 12 फरवरी को ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ समाहरणालय में अनिश्चितकालीन धरना देगी।
धरना की सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है, लगभग 100 से ज्यादा गांव के लोग धरना में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि ढिबरा पर प्रशासनिक कार्रवाई से जनता आक्रोशित है। कोडरमा का मान सम्मान ढिबरा माइका है, इससे खिलवाड़ बर्दास्त नही किया जाएगा। नियम कानून बनाना सरकार का काम है और नीति लागू कराना भी। नीति जबतक लागू नही होती, तबतक वैकल्पिक व्यवस्था करना प्रशासन की जिम्मेवारी है। मगर कोडरमा में प्रशासन केवल ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही, नीति को लेकर निष्क्रिय है। प्रेस वार्ता में मो. इस्लाम, राजकिशोर सिंह आदि मौजूद थे।