झुमरीतिलैया (कोडरमा)। धरती के कण-कण में और लोगों के मन में छठ बसा हुआ है। यह पर्व ही नहीं परंपरा भी है। राजस्थानी समाज की मीना चैधरी लगातार 34 वर्षों से छठ कर रही है। छठ पर्व की शुरुआत उन्होंने डेहरी ओन सोन की सोन नदी पर की थी। शादी के बाद झुमरी तिलैया से कई साल तक डेहरी जाकर ही छठ पर्व को मनाती रही। इधर तिलैया में नया आवास बनने के बाद छठ के लिए एक अलग हॉल बनाया गया है जिसमें सालो भर छठ की सामग्री रहती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष वो अपने घर के छत पर हौदा बनाकर नियम और निष्ठा के साथ पर्व को मनाया। इस साल परिवार के लोगों के अलावा अन्य परिवारों के लोगों ने भी व्रत किया।
इस साल लगभग 33 सूप और डलिया की पूजा की गई। परिवार की महिलाएं गेहूं चुनने से लेकर ठेकुवां बनाने में सहयोग किया। परिवार के लोगों ने कहा कि इस पर्व को लेकर मन में खुशी है कि छठ के शिवाय कोई दूसरी बात नहीं होती है। सुबह से शाम तक पूजन सामग्री एवं अन्य व्यवस्था में ही समय बीत जाता है। बताते चलें कि जहां अब एकल परिवार की परंपरा हो गई है और यह पर्व ऐसा है कि संयुक्त परिवार की परिषाभा को भी सशक्त बनाता है। मालूम हो कि स्टेशन रोड में पहले बिहारीलाल भगवान दास और चैधरी ब्रदर्श परिवार के 60 सदस्य एक साथ छठ के गुणगान में दिवाली के बाद से ही लगे रहते थे।
व्रती मीना चैधरी के भाई सुशील अग्रवाल भिलवाड़ा से इस पर्व को मनाने के लिए हर साल तिलैया पहुंचते हैं और वे भी 36 घंटे के उपवास पर रहते हैं।