तुर्की।तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के लिए रविवार को होने वाले राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव काफी चुनौती भरे होने वाले हैं। ये चुनौती उनके दो दशक के शासन को भी समाप्त कर सकता है। तुर्किये में हुए सर्वे के हिसाब से एर्दोगन मुख्य विपक्षी उम्मीदवार केमल किलिकदारोग्लु से पीछे चल रहे हैं। इस चुनाव में अगर किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी से कम वोट मिलते हैं तो 28 मई को रन ऑफ होगा।
तुर्किये में छह परवरी को भूकंप के झटके में 50,000 से अधिकी लोगों की मौत हो गई थी। इस संकट के तीन महीने से कम समय में तुर्किये में चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में एर्दोगन के लिए चुनौतियां और बड़ी हो गई हैं। राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले शनिवार को एर्दोगन ने इस्तांबुल में अपनी आखिरी चुनावी रैली की थी। लोगों को संबोधित करने के दौरान उन्होंने प्रचार प्रतिबंध लागू होने से पहले विपक्ष पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष को पश्चिमी देशों से आदेश दिया जा रहा है। यदि उनकी सरकार बनती है तो वे पश्चिमी देशों की इच्छाओं के आगे झुक जाएंगे।
तुर्किये के उप विदेश मंत्री ने बताया कि विदेशों में रहने वाले तुर्की के लोगों ने 17 अप्रैल को ही मतदान कर दिया था। बताया जा रहा है कि इस साल फरवरी में आए भूकंप में जिन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा था, उनमें से ज्यादा राष्ट्रपति एर्दोगन का गढ़ था।
राष्ट्रपति की दौड़ में एर्दोगन और किलिकदरोग्लु के अलावा राइट विंग एंसेस्ट्रल अलाइंस के उम्मीदवार सिनान ओगन भी शामिल है। वहीं सेंट्रिस्ट होमलैंड के उम्मीदवार इंस ने बताया कि उनके खिलाफ चलाए गए बदनामी अभियान के बाद उन्होंने इस दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया था। वे तुर्की के सोशल मीडिया पर हफ्तो तक झूठे आरोपो का सामना करते रहे। ।