खूंटी। भले ही झारखंड विधानसभा चुनाव की डुगडुगी अभी नहीं बजी है लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं की संक्रियता काफी बढ़ गई है। एक ही पार्टी के कई दावेदार टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैं। टिकट चाहने वालों की सबसे बड़ी लाइन झामुमो में है। भाजपा और, कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की सूची भी काफी लंबी है।
खूंटी जिले में दो विधानसभा सीटें हैं और दोनों जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। दोनों सीटों पर भाजपा के विधायक काबिज हैं। खूंटी से भाजपा के वर्तमान विधायक और राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा 1099 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनित्वि करते आ रहे हैं। तोरपा के विधायक कोचे मुंडा भी तीन बार से विधायक चुने जाते रहे हैं। तोरपा विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट चार दावेदार अपनी पहुंच और पैरवी के बल पर प्रदेश स्तरीय नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। तोरपा विधानसभा सभा सीट की बात करें, तो टिकट के चार प्रबल दावेदार इस दौड़ में हैं।
वर्तमान विधायक कोचे मुंडा स्वाभाविक रूप से टिकट के दावेदार हैं, वहीं निखिल कंडुलना, अजीत तोपनो और ब्रजेन्द्र हेमरोम भी टिकट के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कोचे मुंडा पहली बार 1999 में बिहार विधाननसभा के लिए चुने गये थे। वर्ष 2000 और 2005 के चुनाव में भी उन्होंने विजय हासिल की थी लेकिन 2009 और 2014 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भी वे टिकट के मजबूत दावेदार हैं।
अजीत तोपनोरू तोरपा सीट से टिकट के दावेदारों में अजीत तोपनो के नाम की चर्चा जोरों पर है। वे तोरपा विधानसभा क्षेत्र के बानो प्रखंड के रहने वाले हैं। वर्तमान में सिमडेगा जिला एसटी मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। विगत कई वर्षाे से वे क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। अजीत का दावा है कि कार्यकर्ताओं का एक वर्ग उनके साथ भी है। ब्रजेंद्र हेमरोम का नाम भी तोरपा सीट से भाजपा के दावेदारों में है। ब्रजेंद्र हेमरोम परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वे भाजपा में शामिल हुए। वर्तमान में वे भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं।
निखिल कंडुलना भाजपा और तोरपा विधानसभा में कोई नया नाम नहीं है। वे पिछले कई वर्षाे से पार्टी क सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। निखिल कंडुलना रनिया प्रखंड से आते हैं। वर्तमान में भाजपा खूंटी जिला महामंत्री के पद पर हैं। इस बार पंचायत चुनाव में उन्होंने रनिया क्षेत्र से जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गये थे। उनकी पत्नी भी वर्तमान में पंचायत समिति सदस्य हैं। वे प्रतिदिन क्षेत्र में जाकर लोगो से मिलते रहते हैं। उनके सुख-दुःख में शामिल हो रहे हैं। टिकट के सभी दावेदार पूछने पर एक ही बात कहते हैं कि पार्टी टिकट दे, तो चुनाव जरूर लड़ेंगे, नहीं तो पार्टी जिसे टिकट दे, उसे जिताने का काम करेंगे।
तोरपा विधानसभा सीट से झामुमो के टिकट के दावेदारों की सूची भी काफी लंबी हैं। इनमें पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी सुदीप गुड़िया सबसे प्रबल दावेदार बताये जाते हैं। चुनाव हारने कें बाद बावजूद पिछले पांच वर्षों से वे क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। सुदीप गुड़िया की पहचान क्षेत्र में एक मिलनसार और सुलझे नेता के रूप में रही है। सुशांति कोंगड़ी, बिरजो कांडुलना, जिला परिषद के अध्यक्ष मसीह गुड़िया, सुभाष कांगड़ी भी झामुमो के टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी पुनीत हमरोम, पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष, कुणाल कच्छप, जॉन कांडुलना, हेलेन होरो आदि भी कांग्रेस के टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं।
खूंटी विधानसभा सीट पिछले पाचं चुनावों से भाजपा के कब्जे में है। खूंटी के वर्तमान विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने लगातार पांच चुनाव जीतकर एक कीर्तिमान बनाया है। इसलिए टिकट के वे सबसे प्रबल दावेदार माने जा रह हैं। उनके अलावा लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और आठ बार खूंटी के सांसद रहे पद्मभूषण कड़िया मुंडा के बेटे जगन्नाथ मुंडा भी इस बार टिकट से दावेदार बताये जा रहे हैं। कांग्रेस और झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कई नेता भी ताल ठोंक रहे हैं।