बेगूसराय। राष्ट्रवादी विचारक और राज्यसभा सदस्य (सांसद) प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि डीएमके नेता उदय निधि द्वारा हिंदू धर्म को मिटाने संबंधी दिया गया बयान हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ हमले का ऐलान है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वह चुनावी राजनीति को ध्यान में रखकर देश की एकता और अखंडता को तोड़ रहे हैं।
सोमवार को अपने गृह जिला बेगूसराय में प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि यह हिंसा की भाषा है। जिस बयान से करोड़ों लोग आहत हो रहे हैं। सनातन का अर्थ स्टालिन के पुत्र उदयनिधि और डीएमके पार्टी के लोग नहीं समझते हैं। अगस्त मुनि ने तमिल संस्कृति की आधारशिला रखी थी। अगस्त मुनि को स्वयं भगवान शिव ने तमिल सिखाया और तब तमिल संस्कृति का प्रचार हुआ था।
उन्होंने कहा कि यह हमला सिर्फ हिंदू समाज और संस्कृति पर नहीं, तमिल पर भी है। आंतरिक विरोधाभास के शिकार घमंडिया गठबंधन के हर लोग अपनी ताकत को प्रधानमंत्री का पद पाने के लिए उपयोग कर रहे हैं। यह विवशता में बना गठबंधन है, इसमें ना सहमति है, ना भविष्य की योजना है, किसी का दिल नहीं मिलता है। दिल मिले बिना, दलों का मिलना घातक है। उन लोगों के लिए भी घातक है।
राकेश सिन्हा ने कहा कि हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति पर यह हमला कोई राजनीतिक दल नहीं कर रहे हैं, बल्कि पश्चिम द्वारा कराया जा रहा है। सोरस ने पश्चिम में बैठकर भारत के जनतंत्र और अखंडता को चुनौती दी। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वह भारत उभर रहा है। जी-20 के रूप में दुनिया के बड़े मंचों पर दिखाई दे रहा है।
जिस प्रकार नरेन्द्र मोदी के महत्ता, महत्व, प्रभाव और भागीदारी से भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। यह पश्चिम के एक जमात को नाराज कर रहा है, आक्रोशित कर रहा है। उसी के प्रभाव और दबाव में घमंडिया गठबंधन के लोग अराजकता, अविश्वास तथा आपसी सद्भाव को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। डीएमके नेता का यह बयान, तब सिर्फ बयान रह जाता, जब गठबंधन के बाकी लोग इसका खंडन करते, क्षमा मांगने को कहते।
राकेश सिन्हा ने कहा कि उदय निधि के इस बयान पर कांग्रेस चुप है, वामपंथी चुप हैं, लालू यादव और नीतीश कुमार चुप हैं। क्या सत्ता प्राप्ति के लिए यह लोग सनातन धर्म पर आघात करते रहेंगे। जिस प्रकार सत्ता के लिए 1947 में देश को बांटा गया था। उसी तरह की स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अब भारतवासी वैसी कोशिश को कामयाब नहीं होने देंगे।