कोडरमा। दीपों का त्योहार दीपावली का चहल-पहल शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों तक में शुरू हो गयी है। लोग जहां अपने-अपने घरों में दीपावली मनाने की तैयारी में जुटे हैं तो वहीं कुम्हार दीपक एवं पूजा-पाठ के लिए मिट्टी का बर्तन हाड़ी, कलश आदि बनाने में भी रात-दिन एक कर दिया है। पवित्र कार्तिक मास की शुरूआत होते ही हिन्दू धर्मावलम्बी दीपावली के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत लोगों ने खान-पान में भी परिवर्तन कर दिया है।
कार्तिक महीना के प्रवेश करते ही लोग मीट, मछली, अंडा, मुर्गा खाना तो दूर, लहसून-प्याज तक को खाना छोड़ दिया है। दीपावली को लेकर लोग अपने घरों की साफ-सफाई एवं रंग-रोगन में लगे हुए हैं। कार्तिक महीने में बहुत सी महिलाएं तुलसी पेड़ के समीप संध्या में स्नान कर घी के दीये जलाने में जुटी हैं। वहीं बहुत सी महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा करने में लगी है।
इसके पूर्व दीपावली का त्योहार मनाने के लिए सफाई अभियान के बाद घरों की सजावट में जूट गई है। आज आधुनिक युग में भले ही घरों की सजावट के लिए रंग-बिरंगे चायनिज बल्बों की बिक्री बढ़ गयी है। हालांकि लोग आधुनिकता के दिखावे में इसकी खरीददारी भी जोर-शोर से करते हुए देखे जा रहे हैं, लेकिन पवित्रता के प्रतीक मिट्टी से बने हुए दीये की मांग आज भी पूर्व की तरह ही देखी जा रही है।
इसी को ध्यान में रखते हुए कुम्हार भी दीपावली के महीनों पूर्व से ही मिट्टी के दीये के साथ-साथ पूजा में लगने वाले अन्य तरह के मिट्टी के बर्तन एवं घरौन्दा के लिए खिलौना (चुक्का-चुक्यि, चूल्हा) बनाने में रात दिन एक कर दिए हैं। शहरी क्षेत्र के पुरनानगर, बरसोतियाबर, जयनगर रोड, झुमरीतिलैया, असनाबाद, इन्दरवा एवं ग्रामीण क्षेत्र के चाराडीह, लोचनपुर, बेकोबार आदि गांवों में इस पेशे से जुड़े लोग मिट्टी के दीये और बर्तन बनाने में जुटे हैं।
दिवाली पर आखिर क्यों लगाते हैं दीये से बना काजल? इसके पीछे की वजह जान कर हो जाएंगे हैरान
दीपावली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमाव्सया तिथि को मनाया जाता है। दीपावली के दिन दीये जलाने की प्रथा है और इस दिन मां लक्ष्मी संग भगवान गणेश की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। दीपावली का पर्व अनेक मान्यताओं से जुड़ा है जैसे कि मां लक्ष्मी की कृपा से घर में धन आगमन होना, दीये जालाने से प्रकाश के रूप में सकारात्मक ऊर्जा का घर में वास करना और इसी के साथ एक मान्यता है कि दीपावली के दिन जो दिया जलाते हैं, उस दिये से काजल बनाना, जो धन संचय से लेकर नजर न लगने तक शुभ माना जाता है।
दिये से बने काजल लगाने के कई फायदे
दीपावली के दिन काजल बनाने की मान्यता वर्षों पुरानी है। दीपावली की रात बने काजल को आंखों लगाने से बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता है, जीवन में आ रही परेशानियों से शीघ्र छुटकारा मिलता है, यदि आप दीपावली के दिन बनें काजल को लगाते हैं तो आपको इसका शुभ फल मिलता है और जीवन में अपार सफलता मिलती है, दीपावली प्रकाश का पर्व है, इस काजल को लगाने से सकारात्मक विचारों से आप अपने हर कार्य को पूर्ण कर सकते हैं, यदि दीपावली के दिन बने काजल को आप अपने घर की तिजोरी या दुकान पर रखी तिजोरी में लगाते हैं तो आपके धन पर दूसरों की बुरी नजर का असर नहीं होगा। ऐसा करने से आपको कभी भी धन हानी नहीं होगी और पैसों को बरकत होगी।