रांची। ग्रामीण विभाग के प्रधान सचिव श्रीनिवासन ने कहा कि यह प्रयास हो कि ग्राम स्तर पर कम से कम कचरा फैलाव हो, प्लास्टिक के उपयोग से परहेज हो। ग्राम स्तर पर अभिसरण में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन अंतर्गत कार्य योजना बनायी जाए। विभिन्न विभाग परस्पर सहयोग से कार्य करें। निर्मित संरचनाओं (शौचालय वगैरह) को बेहतर बनाए रखा जाए। पेयजल विभाग के प्रधान सचिव मस्त राम मीणा ने गांवों में अभिसरण के आधार पर तरल एवं ठोस कचरा प्रबंधन के विषय और उसके महत्व के बारे में बताया।
श्रीनिवासन झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) के सभागार में अभिसरण (कन्वर्जेंस) आधारित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बाेल रहे थे।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग, झारखण्ड के सौजन्य से इसे आयोजित किया गया। कार्यशाला में प्रतिभागियों के बीच गांवों ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन विषय पर वृहद रूप से चर्चा की गई।
एसबीएम (ग्रामीण) निदेशक नेहा अरोड़ा ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्राम स्तर पर ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के आधार पर गांवों को फाइव स्टार श्रेणी में ओडीएफ प्लस घोषित किए जाने का प्रावधान है। आवश्यकता है कि प्रत्येक माध्यम से गांवों में एसएलडब्ल्यूएम से कार्य लिया जाए। कार्य के आधार पर अधिकतम संख्या में गांव में पांच स्टार श्रेणी में ओडीएफ प्लस घोषित किया जाए।
कार्यशाला में मनरेगा (ग्रामीण विकास) के सभी जिलों के परियोजना पदाधिकारी, जेएसएलपीएस के सभी जिलों के पदाधिकारी, 15वें वित्त आयोग (पंचायतीराज) के जिला परियोजना पदाधिकारी सहित कई अन्य भी उपस्थित थे।