रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार किया। राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। झामुमो से छह, कांग्रेस से चार और राजद से एक विधायक को मंत्री बनाया गया है। इस मंत्रिपरिषद में कुछ नेताओं ने संघर्ष के बल पर अपनी पहचान बनाई है, तो कुछ को सियासत विरासत में मिली है। खास बात यह है कि हेमंत सोरेन मंत्रिपरिषद संघर्ष और विरासत का मिश्रण है। जहां कुछ नेता संघर्षों से निकले हैं, वहीं कुछ ने अपनी विरासत को आगे बढ़ाया है।
ये बने मंत्री
संजय प्रसाद यादव (राजद)- राजद कोटे से गोड्डा विधायक संजय प्रसाद यादव को लालू यादव और तेजस्वी यादव से करीबी का फायदा मिला। वे 2000 और 2009 में विधायक बने और इस बार मंत्री बने हैं।
योगेंद्र प्रसाद (झामुमो)- गोमिया के विधायक योगेंद्र प्रसाद ने पंचायत अध्यक्ष के पद से शुरुआत की। कांग्रेस से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और जनता दल तथा आजसू के बाद झामुमो में शामिल हुए। वे दो बार इस क्षेत्र से विधायक चुने गए और अब मंत्री पद तक पहुंचे हैं।
रामदास सोरेन (झामुमो)- घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने जमशेदपुर पूर्वी में चुनाव लड़कर शुरुआत की। 2009 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप कुमार बलमुचू को हराकर पहली बार विधायक बने। उन्होंने 2019 और 2024 के चुनावों में भी भाजपा उम्मीदवारों को हराकर अपनी जगह मजबूत की।
सुदिव्य कुमार सोनू (झामुमो)- गिरिडीह से झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने लगातार दो बार भाजपा उम्मीदवारों को हराकर मंत्री पद हासिल किया। विधानसभा में उनकी पहचान एक मुखर विधायक के तौर पर बनी है।
चमरा लिंडा (झामुमो)- 2009 में राष्ट्रीय कल्याण पक्ष के टिकट पर विधायक बनने वाले चमरा लिंडा ने 2014 से लगातार झामुमो के टिकट पर जीत दर्ज की। बगावत के बावजूद पार्टी में उनका कद बढ़ा और अब वे मंत्री बने हैं।
इरफान अंसारी (कांग्रेस)- जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी को पिता फुरकान अंसारी से सियासत विरासत में मिली। वे तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं।
हफीजुल अंसारी (झामुमो)- पिता हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद हफीजुल ने राजनीति में कदम रखा। बीआईटी सिंदरी से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद कुछ समय तक खनिज निगम में सर्वेयर की नौकरी भी की।
शिल्पी नेहा तिर्की (कांग्रेस)- बंधु तिर्की की पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंची हैं। विरासत में मिली राजनीति को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने मंत्री पद तक का सफर तय किया।
दीपिका पांडेय सिंह (कांग्रेस)- महागामा विधायक दीपिका को सियासत विरासत में मिली। उनकी मां कांग्रेस से जुड़ी रहीं और ससुर अवध बिहारी सिंह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
राधाकृष्ण किशोर (कांग्रेस)- छतरपुर से विधायक राधाकृष्ण किशोर का सफर कई पार्टियों से होकर गुजरा। उन्होंने कांग्रेस, जदयू, भाजपा और आजसू के साथ काम किया और अब कांग्रेस में रहते हुए मंत्री बने हैं।
दीपक बिरुआ (झामुमो)- चाईबासा के झामुमो विधायक दीपक बिरुआ ने 2009 से लगातार झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता। उन्होंने 2009, 2014, 2019 और 2024 में चाईबासा सीट पर लगातार चार बार जीत दर्ज की है।