खूंटी। बैंकिंग सेवा के क्षेत्र में कॉरेस्पॉन्डेंट सखी या बीसीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। गांवों में बैंकों वाली दीदी के रूप में जानी जाने वाली बीसीएस बैंकों और ग्रामीणों के बीच सेतु का काम कर रही हैं। दूर-दराज के क्षेत्रों में अपनी विविध सेवाओं के साथ, वे पूरे पंचायत में घर-घर जाकर बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी न सिर्फ गांव के लोगों को बैंकिंग सेवा मुहैया करा रही है, बल्कि बीमा सहित अन्य सुविधा भी उपलब्ध करा रही हैं। ये झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशनल सोसायटी (जेएसएलपीएस) के तहत हर पंचायत में कार्यरत हैं। उग्रवाद प्रभावित रनिया प्रखंड के जयपुर गांव की रहने वाली राजमुनी देवी ने पूरे क्षेत्र में बीसीएस के रूप में काम करते हुए बैंकों वाली दीदी के रूप में पहचान बना ली है।
राजमुनी देवी बताती है कि उनका गांव जयपुर इतना पिछड़ा है कि न वहां जाने का रास्ता था और न ही कोई अन्य सुविधा। कुछ वर्षों पहले ही सड़क का निर्माण कराया गया है। ऐसे में पढ़ी-लिखी होने के बाद भी गांव में रोजगार की कोई उम्मीद नहीं थी। राजमुनी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर परिवार का विकास करना चाहती थी। पूरा परिवार कृषि पर आधारित था। बाद में वह गांव के ही प्रेम आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई।
उन्हें जेएसएलपीएस की ब्लॉक टीम द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बीसीएस की भूमिका और जिम्मेदारियों के संबंध में जानकारियां दी गयी। प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से जुड़कर बीसीएस एजेंट के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। उन्होंने ग्रामीणों को जागरूक करते हुए अपनी पंचायत में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने में भी अहम भूमिका निभाई।
एक वर्ष के दौरान राजमुनी देवी ने 75 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं और दूरस्थ आबादी को लाभान्वित करते हुए 105 लाख रुपये की राशि का लेन-देन किया है। इन सेवाओं के बदले बैंक के प्रोत्साहन से वह हर महीने दस हजार रुपये से अधिक की कमाई कर रही है। राजमुनी देवी ने न केवल अपने रोजगार सृजन का मार्ग खोला है, बल्कि ग्रामीणों तक योजनाओं को पहुंचाने का बेहतर माध्यम बनी हैं। वह बताती है कि गांव के दिव्यांगों, वृद्धों और महिलाओं को सुविधा उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है कि उनकी छोटी सी सेवा से लाचार लोगों को सुविधा मिल रही है।