रांची। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार का बजट देश की जनता की आशाओं पर वज्रपात और झारखंड के लिए नील बट्टा सन्नाटा है। बजट का फोकस जनता नहीं, बल्कि सत्ता है और यह इस देश की विडंबना है।
ठाकुर ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश बजट उदाहरण बनकर रह गया है। झारखंड में लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला भाजपा ने केंद्रीय बजट में चुकाया है। उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक है कि कुल बजट का सिर्फ एक से दो प्रतिशत तक की राशि का प्रावधान पूरे देश में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया गया है और बातें उत्पादकता बढ़ाने की कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को इस बजट में राजनीतिक सहयोग की कीमत चुकाने की विवशता साफ दिखाई पड़ रही है।
ठाकुर ने कहा कि अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन निजी खपत के रिकॉर्ड सुस्ती पर बजट पूरी तरह मौन है। वर्ष 2016 से 2022 के बीच में 24 लाख उत्पादक कंपनियां बंद हो चुकी हैं। इनके लिए सिर्फ क्रेडिट गारंटी की बात की गई है। ठोस कुछ भी नहीं किया गया है। बजट में जिस फिजिकल कंसोलिडेशन की बात की गई है उस लक्ष्य 4.5 फीसदी को यूपीए की सरकार ने 2014 में ही पा लिया था। किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सीधे तौर पर बजट में प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे किसानों के आय में वृद्धि हो सके। इसके विपरीत रिसर्च और कृषि संबंधित क्षेत्र के लिए प्रावधान किया जाना पिछले दरवाजे से कॉरपोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने की कोशिश है, जो इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
ठाकुर ने कहा कि इस बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे आम उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिले, बल्कि यूं कहें कि आम लोगों को इस बजट से कोई राहत नहीं है। उन्हें बजट के नाम पर झुनझुना भी नहीं दिया गया। वित्त मंत्री की ओर से पेश बजट से स्पष्ट है कि युवाओं को रोजगार के लिए निजी क्षेत्र पर निर्भर होना होगा। सरकारी नियुक्तियां की संभावना को खत्म करने की दिशा में यह बजट पहला कदम है।