पंकज सिंह
चतरा। चतरा लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक है। भाजपा ने लगातार दो चुनाव 2014 और 2019 में 50 प्रतिशत से ऊपर वोट हासिल कर सांसद बने सुनील कुमार सिंह के बजाए इस बार स्थानीय उम्मीदवार कालीचरण सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व राज्य मंत्री केएन त्रिपाठी पर दांव लगाया है। केएन त्रिपाठी के सामने उस सीट को जीतने की चुनौती है, जहां कांग्रेस ने आखिरी बार 40 साल पहले चुनावी जीत का स्वाद चखा था। योगेंद्र प्रसाद योगेश 1984 के लोकसभा में सीट जीतने वाले आखिरी उम्मीदवार थे।
चतरा लोकसभा सीट पर 1957 में पहला चुनाव हुआ था और विजया राजे छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गईं। इसके बाद विजया राजे 1961 और 1967 में भी लगातार जीत दर्ज करती रहीं। 1971 में यहां से कांग्रेस के शंकर दयाल सिंह ने बाजी मारी और लोकसभा पहुंचे थे। फिर 1977 में जनता पार्टी के सुखदेव प्रसाद वर्मा, 1980 में कांग्रेस (आई) के रणजीत सिंह और 1984 में कांग्रेस के योगेश्वर ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1989 और 1991 में जनता दल के उपेन्द्र नाथ वर्मा ने लगातार दो बार इस सीट पर जीत हासिल की। फिर बीजेपी के धीरेंद्र अग्रवाल 1996 और 1998 में लगातार दो बार सांसद चुने गए। हालांकि 1999 में यहां आरजेडी ने कब्जा जमा लिया। इस सीट से नागमणि सांसद चुने गए थे। वहीं 2004 में आरजेडी ने धीरेंद्र अग्रवाल को लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।
वहीं 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी इंदर सिंह नामधारी, जबकि 2014 और 2019 में बीजेपी के सुनील कुमार सिंह लगातार दो बार लोकसभा पहुंचे। चतरा लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों में फैला है, जिसमें चतरा जिले का चतरा व सिमरिया, लातेहार जिले का लातेहार व मनिका और पलामू जिले का पांकी विधानसभा क्षेत्र है।