कोडरमा। झारखण्ड लघु समनुदान खनिज (संशोधन) नियमावली-2021 के जरिये ढिबरा व्यापार को पुनर्जीवित करने के सरकार के फैसले के बाबजूद जमीनी स्तर पर सिस्टम निष्क्रिय है। ढिबरा व्यापार से जुड़े मजदूर और व्यापारी दोनों ही चिंतित है। बीते दिनों ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ और कांग्रेस पार्टी ने ढिबरा व्यापार को वैध तरीके से शुरू कराने को लेकर आंदोलन भी किया था। इधर झारखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र में ढिबरा का मुद्दा उठा। वहीं कांग्रेस के मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न के जरिये ढिबरा पर सरकार का रुख और विभागीय स्तर पर चल रही कार्रवाई से संबंधित जानकारी मांगी थी।
मामले में खान एवं भूतत्व मंत्री ने जानकारी दी है कि जेएसएमडीसी के द्वारा ढिबरा डंप को चिन्हित कर मानचित्रण, भंडारण मात्रा एवं गुणवत्ता का आंकलन कार्य हेतू भूतत्व निदेशालय खान एवं भूतत्व विभाग को अनुरोध किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार आंकलन प्रक्रिया पूर्ण होते ही ढिबरा का कारोबार वैध तरीके से जेएसएमडीसी के जरिये को-आॅपरेटिव के सहयोग से शुरू हो सकेगा। इधर मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि ढिबरा कोडरमा का ज्वलन्त मुद्दा है, ढिबरा चुनकर लाखो का जीवनयापन चलता है। अभ्रख नगरी की पहचान माइका से थी, माइका खदान बंद हो गयी, लेकिन खदान के बाहर डंप कचरा को चुनकर ढिबरा निकालते है। सरकार ने नीति बनाई है, लेकिन नीति लागू नही हुई है। सरकार ने भरोशा दिलाया है, ढिबरा को लेकर सरकार प्रयासरत है।