कोडरमा। जिले के झुमरीतिलैया अंतर्गत सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति तिलैया बस्ती में आज भी राजशाही परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है, मगर यहां पुरोहित, नाई, माली और बैंड वाले को मात्र एक से दो रुपये दिए जाते हैं। इसके पीछे एक रोचक परंपरा है, प्रजातंत्र काल में तिलैया के छोटे राजा रहे द्वारिका नारायण शाही के पुत्र काली प्रसाद शाही ने खबर मंत्र संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि आज से 178 वर्ष पहले वर्ष 1845 में उनके परदादा नेहाल शाही के द्वारा तिलैया बस्ती में दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी। इसके बाद उनके दादा अमृत नारायण शाही और उनके पिता ने राजतंत्र काल के दौरान दुर्गा पूजा का आयोजन किया।
इसके बाद देश में लोकतंत्र लागू होने पर लगातार तब से स्थानीय लोगों के सहयोग से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। भव्य और आकर्षक रूप में दुर्गा मंडप का हुआ है नवनिर्माण काली प्रसाद शाही ने कहा कि राजतंत्र के दौरान उनके राज परिवार के अधीन तिलैया, मडुआटांड़ और मोरियावां मौजा का क्षेत्र था. राजा किला के समीप बने दुर्गा मंडप के पुराने भवन के जर्जर होने पर गांव के अलावे जिले के कई गणमान्य लोगों के सहयोग से भव्य दुर्गा मंडप का निर्माण किया गया है। दुर्गा मंडप प्रांगण में शारदीय नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र के दौरान प्रतिमा स्थापित करने के लिए दो अलग-अलग प्रतिमा स्थल भी बनाए गए हैं।
काली प्रसाद शाही ने आगे कहा कि पहले दुर्गा पूजा के मौके पर बलि प्रथा भी थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों में समाज के लोगों के सामूहिक निर्णय से बलि प्रथा पर रोक लगा दी गई। उन्होंने बताया कि आज भी राजघराने से जुड़े पुरोहित को दो रुपए, नाई को दो रुपए, कुम्हार को दो रुपए, ढोल बजाने वाले को दस दिन के लिए डेढ़ रुपए, माली को डेढ़ रुपए राज परिवार की तरफ से सरकारी राशि दी जाती है, इसके अतिरिक्त महंगाई के अनुसार सभी को बाजार रेट पर चंदा की राशि से अलग से मजदूरी का भुगतान किया जाता है। शारदीय नवरात्र में राजा परिवार के सदस्य होते हैं। वहीं अध्यक्ष काली प्रसाद शाही ने बताया कि दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापना से पाठ की शुरुआत होती है।
नवरात्र के पहले दिन से ही काफी संख्या में लोग पूजा करने दुर्गा मंडप प्रांगण पहुंचते हैं। अष्टमी से दशमी तक लोग दूर-दूर से पूजा करने पहुंचते हैं और शाम में आकर्षक लाइटिंग, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्टाॅल के साथ लोग मेले का लुफ्त उठाते हैं। शारदीय नवरात्र में शुरू से ही राजा परिवार का बड़ा बेटा दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष रहते हैं। वहीं चैत्र नवरात्र में सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव होता है। प्रतिमा विसर्जन के बाद सरकारी मजदूरी का होता है भुगतान वहीं काली प्रसाद शाही ने बताया कि दशमी को प्रतिमा विसर्जन के बाद पूजा कमेटी से जुड़े करीब 40 पदाधिकारी और सदस्य दुर्गा मंडप परिसर में एकत्रित होते हैं, जहां दुर्गा पूजा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों को सरकारी मजदूरी का भुगतान किया जाता है। इसके बाद राज परिवार के द्वारा पनबत्ती परंपरा के अनुसार सभी पदाधिकारी और सदस्यों को मीठा पान खिलाकर पूजा को सफल बनाने में सहयोग करने के लिए आभार प्रकट किया जाता है।