रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि बजट के जरिए एक ऐसा दस्तावेज तैयार हो जिससे यहां की मूलभूत समस्याओं के समाधान के साथ सर्वांगीण विकास की राह पर राज्य आगे बढ़ सकें। इसके लिए जरूरी है कि संसाधनों का बेहतर से बेहतर इस्तेमाल हो। मुख्यमंत्री झारखंड मंत्रालय में अबुआ बजट 2025-26 की तैयारियों के सिलसिले में बजट पूर्व संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ये बातें कही।
उन्होंने कहा कि बजट आइडियल तथा सर्वोत्तम हो, इसके लिए विभिन्न विषयों के के विशेषज्ञों ने कई अहम तथा प्रभावी सुझाव दिए हैं। इन सुझावों पर गंभीरता के साथ अध्ययन कर उसे बजट में शामिल करने पर विचार होगा, ताकि सतत एवं समावेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ सकें।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि झारखंड को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए खुद राजस्व संग्रहण करना है और खर्च भी करना है। हमें अपने संसाधन खुद जुगाड़ करने हैं और आवश्यकता अनुसार विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए राशि भी खर्च करनी है। ऐसे में जब तक आर्थिक संसाधन से हम मजबूत नहीं होंगे राज्य के विकास का पहिया आगे नहीं बढ़ेगा। इसलिए सभी विभाग राजस्व संग्रहण के संभावनाओं को तलाशने के लिए ठोस कदम उठाएं।
मुख्यमंत्री ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि राज्य में संसाधन जरूर कम हैं, लेकिन हमारी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना, बिजली, पानी और सड़क समेत कई क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किए हैं । ऐसे कार्य आज भी चल रहे हैं और आगे भी अनवरत चलते रहेंगे। हमारा प्रयास झारखंड को विकसित और समृद्ध राज्य बनाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत विकास के लिए लंबी अवधि को ध्यान में रखकर योजनाएं बननी चाहिए। इसके लिए नींव मजबूत होना जरूरी है । अगर नींव मजबूत होगी तो भविष्य में बिल्डिंग में ऊंची बनाई जा सकती है। यही वजह है कि हमारी सरकार प्राथमिकताओं को तय कर बुनियाद को मजबूत करने पर विशेष जोर दे रही है ताकि भविष्य में भी उसकी ज्यादा से ज्यादा उपयोगिता सिद्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद झारखंड ने कई उतार -चढ़ाव देखे हैं। लेकिन, इसके बाद भी राज्य ने कई नए आयाम गढ़े हैं। इस बार हेल्थ इंडेक्स में झारखंड ने बेहतरीन उपलब्धि हासिल की है। लेकिन, हमें सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहना है बल्कि इससे प्रेरणा लेते हुए पूरे उत्साह के साथ अन्य क्षेत्र में उच्च मानक पर खरा उतरते हुए निरंतर आगे बढ़ें। इसके लिए सभी को मिलजुल कर कार्य करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में विभिन्न विभागों को जो राशि आवंटित की जाती है उसे खर्च करने के साथ उसके आउटकम का भी आकलन होना चाहिए। अभी तक देखा गया है कि खर्च हुई राशि का कितना लाभ मिल रहा है, इसपर विशेष जोर नहीं दिया गया। इस वजह से हमने जो एसेट बनाएं हैं, उसका उचित इस्तेमाल नहीं हो पता है ऐसे में एसेट तैयार करने के क्रम में उसके सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। इस दिशा में हमें नकरात्मक पहलुओं को दूर करने के लिए बेहतर प्रबंधन करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी झारखंड में 70 प्रतिशत आबादी के पास अपना कोई बजट नहीं होता है। कहां से आय होगा और कहां खर्च होगा, उनके पास इसकी कोई योजना नहीं हो पाती है। इस वजह से वे पीछे रह जातें हैं लेकिन हमारी सरकार ने अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से उन्हें कई संसाधन उपलब्ध कराए हैं, जिनके जरिए वे सशक्त हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आधी आबादी को सशक्त बनाने के इरादे से झारखंड मुख्यमंत्री मंइयाँ सम्मान योजना की जो शुरुआत की है, उससे देश भर में इस राज्य की अलग पहचान बनी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि इस योजना की वजह से किसी भी व्यक्ति विशेष पर किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। इसके लिए राशि आंतरिक संसाधन से जुटाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट ऐसा होना चाहिए, जिसके जरिए रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले। रोजगार के साथ स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए व्यापक प्रबंध होने चाहिए, इसके लिए रोजगार से जुड़ी समस्याओं के निदान के साथ रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाई जाएं।