धनबाद/कतरास। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड भारत की मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल में पैसे की बबार्दी देखना है तो बीसीसीएल कतरास क्षेत्र संख्या चार में चले आइए।जहां कोयला भवन धनबाद के द्वारा तेतुलमारी टाउनशिप में 731 बी टाइप सी टाइप एवं डी टाइप क्वार्टर में विद्युतीकरण का कार्य एम/एस यूनिफाइड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कंपनी को दी गई थी।
जिसमें 1-एनआईटी पत्रांक बीसीसीएल/ जीएम(ई&एम)आई/सी/एफ टेंडर/2019-20/688 दिनांक24-07-2019 एवं
2 – एल ओ ए पत्रांक बीसीसीएल/ई&एम/एफ टेंडर/एल ओ ए/2019-20/51-56 दिनांक 11-01-2020 के तहत कुल लागत एक करोड़ चौहत्तर लाख उनचालीस हजार तीन सौ तिरेसठ रुपए (17439363/-) में बीसीसीएल कोयला भवन के द्वारा यह कार्य एमएस यूनिफाइड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कंपनी को दी गई थी। और इस टेंडर पर हस्ताक्षर किए थे तत्कालीन जीएम ईएनएम पी के सिन्हा जो अब अवकाश प्राप्त कर चुके हैं।
इस कंपनी का रजिस्टर्ड पता एम/एस यूनिफाइड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंगहेड ऑफिस ठाकुर बाड़ी रोड, नियर सूर्य मंदिर, औरंगाबाद, बिहार पिन संख्या 824202 है। तेतुलमारी टाउनशिप में वर्ष 2016 में ऑफिसर कॉलोनी का निर्माण हुआ था जो अब खंडहर का रूप धारण कर चुकी है। अधिकांश क्वार्टरों के में लगे शीशे को तोड़ दिया गया है। शौचालय के पेन गायब है, रूम से दरवाजा गायब है।आखिर अरबों रुपए की लागत से निर्माण हुए इस ऑफिसर्स कॉलोनी की बबार्दी का जिम्मेदार कौन है? कोयला भवन के अधिकारी या बीसीसीएल क्षेत्र संख्या 4 के अधिकारी या फिर संवेदक? बिजली घर तो है लेकिन ट्रांसफार्मर गायब है, खंभे तो है लेकिन बिजली के तार गायब है, क्वार्टर तो है लेकिन वायरिंग गायब है।
अब इसमें खबर निकलकर यह आ रही है कि कोयला भवन के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यूनिफाइड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के संवेदक बिना काम किए हुए टेंडर में निर्धारित रकम उठाकर रफूचक्कर हो गया है, और काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। सूत्रों की माने तो कोयला भवन के चीफ मैनेजर इएनएम इंद्रानिल मुखर्जी एवं इलेक्ट्रिकल इंचार्ज पीके मिश्रा के मिलीभगत से संवेदक द्वारा इतने बड़े गबन को अंजाम दिया गया है। बीसीसीएल द्वारा दिया गया हजार के वी का चार ट्रांसफार्मर भी है गायब— बताते चलें कि तेतुलमारी टाउनशिप ऑफिसर्स कॉलोनी में बिजली सप्लाई के लिए बीसीसीएल के द्वारा हजार केवी का चार ट्रांसफॉर्मर दिया गया था, जो अब बिजली घर से गायब है। इन 4 ट्रांसफार्मर में से तीन ट्रांसफार्मर ऑफिसर्स कॉलोनी में सप्लाई देने के लिए था, जबकि एक ट्रांसफार्मर एरिया ऑफिस में बिजली सप्लाई देने के लिए था।
एक ट्रांसफार्मर का दाम उस समय के हिसाब से लगभग 9 लाख रुपए था
इस हिसाब से लगभग 36 लाख रुपए का ट्रांसफार्मर भी बिजली घर से गायब है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
उपरोक्त मामले की जानकारी लेने के लिए जब कोयला भवन के चीफ मैनेजर एएनएम इंद्रानिल मुखर्जी एवं मास्टर प्लान इलेक्ट्रिकल इंचार्ज पीके मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बात को टालते हुए आथेंटिक पर्सन से बात करने के लिए कहा एवं जीएम इंचार्ज इएनएम सौमित्रों राय का मोबाइल नंबर दिया। लेकिन जब सौमित्रो राय को फोन की गई तो उन्होंने कॉल नहीं उठाया। अगर बीसीसीएल विजिलेंस के द्वारा उपरोक्त मामले की जांच गंभीरता पूर्वक कराई जाए तो कई अधिकारियों का गर्दन फंसना तय है। क्योंकि उपरोक्त गबन के मामले को लेकर कोयला भवन का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।