मुंबई। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों में आगामी चुनाव साथ मिलकर लड़ने को लेकर असमंजस बरकरार है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि अभी तक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का कोई निर्णय नहीं हुआ है। तीनों सहयोगी दलों के बीच आगामी चुनाव साथ लड़ने का अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। आगामी चुनाव साथ लड़ने के लिए तीनों दलों में सीटों का बंटवारा होना चाहिए। इसके बाद ही इस विषय पर कुछ कहा जा सकता है। शरद पवार के इस वक्तव्य के बाद महाविकास आघाड़ी के तीनों सहयोगी दलों में साथ रहकर चुनाव लड़ना मुश्किल माना जा रहा है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राऊत ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि राज्य में महाविकास आघाड़ी मजबूत है और आगामी चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाली है। संजय राऊत ने कहा कि शरद पवार के वक्तव्य का गलत अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए। इसका कारण शरद पवार का महाविकास आघाड़ी की स्थापना में मुख्य रोल रहा है। हालांकि शिवसेना के एक अन्य नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सीटों का बंटवारा ही महाविकास आघाड़ी में फूट का कारण बनने वाला है। इसलिए आगामी चुनाव महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दल आमने -सामने लड़ने के लिए बाध्य होंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि सभी सहयोगी दलों में अभी तक सीटों के बंटवारे पर चर्चा नहीं हुई है। अगर तीनों सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो ही भाजपा को पराजित किया जा सकता है। हालांकि इस बारे में जब चुनाव नजदीक आएंगे, उस समय की स्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। अभी से इस संबंध में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। चुनाव के समय की स्थिति पर साथ लड़ने का अथवा न लड़ने का निर्णय लिया जा सकता है।
दरअसल, बीते दिनों राकांपा नेता अजीत पवार के भाजपा में शामिल होने की जोरदार चर्चा हो रही थी। उसके बाद अजीत पवार ने कहा था कि वे राकांपा नहीं छोड़ेंगे। शरद पवार ने इन स्थितियों पर कहा था कि राकांपा नेताओं पर पार्टी छोड़ने के लिए दबाव बढ़ गया है। तब से ही महाविकास आघाड़ी के मुख्य सहयोगी राकांपा कुछ अलग खेल खेलने का मन बना रही है। राजनीतिक हलके में कहा जा रहा है कि आगामी चुनाव से पहले ही राकांपा महाविकास आघाड़ी से अलग हो जाएगी और चुनाव के बारे में अलग निर्णय ले सकती है।