कोडरमा। संतान की लंबी उम्र की कामना करते हुए बुधवार को माताओं ने 24 घंटे का निर्जला उपवास रखकर जिऊतीया का उपवास बुधवार को शुरू हुआ। वहीं पूरे अभ्रकांचल क्षेत्र के झुमरीतिलैया, कोडरमा, सतगावां, डोमचांच, मरकच्चो, जयनगर, चंदवारा आदि इलाकों की महिलाओं ने पुत्र के आरोग्य और सर्वकल्याण के लिए निर्जजला उपवास किया है। तीन दिवसीय यह व्रत मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ। बुधवार को उपवास का दिन रहा तथा गुरुवार को पारण के साथ व्रत की समाप्ति होगी।
पर्व को लेकर शहर के स्टेशन रोड एवं सब्जी बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ लगी रही। वहीं पंडित मदन पांडेय के अनुसार व्रत के आखिरी दिन पारण किया जाता है। इस दिन बहुत सी चीजों का सेवन करते हैं। इस दिन खासकर भोजन के रूप में नोनी का साग, मडुआ की रोटी आदि खायी जाती है। इसके अलावा इस व्रत में मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। बच्चों के दीर्घायु के साथ युगों तक पीढ़ी चलते रहने की कामना भी की जाती है। बताते चलें कि पर्व के पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है। नोनी का साग, सतपुतिया झिंगी एवं मडुआ का आटा पेट के लिए लाभकारी है। भूखे रहने से पेट पर भार नहीं पड़ता। यही वैज्ञानिक कारण है कि नहाय-खाय और पारण में खाया जाता है।