रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि भारत में 18 भाषाएं बोली जाती हैं। पर सभी भारतवासियों की सोच और सांस्कृतिक निष्ठा एक ही है। हम सब आजन्म भारतीय हैं। भाषा, पहनावा, भोजन और कला की विविधता के बावजूद राष्ट्रीय एकात्मता सभी भारतीयों के लिए जीवन की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्यपाल रविवार को भारत भारती और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित झारखंड दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यदि सरदार वल्लभभाई पटेल नहीं होते तो भारत का भौगोलिक स्वरूप आज जैसा नहीं होता। इसी तरह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो कश्मीर आज भारत का अंग नहीं होता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी राज्यों को एक तरह का महत्व और सम्मान मिल रहा है। तमिलनाडु से भाजपा का एक भी सांसद नहीं है किंतु वे तीसरे व्यक्ति हैं जिसे इस राज्य से राज्यपाल बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि विश्व की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा भारत न केवल शक्तिशाली है बल्कि दयालु भी है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बहुत से गरीब देश को मुफ्त कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराया गया।वाजपेईजी ने ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी गैस पहुंचने का काम किया तो मोदी ने प्रत्येक गांव और ग्रामीण को कुकिंग गैस उपलब्ध कराने का प्रयास किया। अभी देश में 27 प्रतिशत लोगों को भोजन, स्नान आदि के लिए नल का पानी उपलब्ध है जबकि 73 प्रतिशत और लोगों तक पहुंचना है।
कार्यक्रम में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य, केंद्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अशोक आर पाटिल, भारत भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विनय पत्राले तथा भारत भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य साधना बेन राव ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड, केरल, मिथिला, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड सहित 13 राज्यों के निवासियों ने वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।