पलामू। पलामू जिले के पांकी प्रखंड के जीरो गांव में आदिम जनजाति के लिए बनाए जा रहे बहुदेशीय भवन में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग कर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
निर्माण कार्य में बंगला ईंट, थर्ड ग्रेड सीमेंट और बालू की जगह डस्ट का उपयोग किया जा रहा है। पीलिंथ तक टेढ़ा-मेढ़ा बना दिया गया है, जिससे भवन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस योजना का शिलान्यास किसी जनप्रतिनिधि के द्वारा अबतक नहीं किया गया है। निर्माण स्थल पर झूठा शिलापट्ट लगा दिया गया है। शिलान्यास के बोर्ड पर शिलान्यास की तारीख लिखी जरूर है, मगर जिम्मेदार प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी तक नहीं है।
जब इस मामले में स्थानीय विधायक डॉ कुशवाहा शशिभूषण मेहता से सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। विधायक डॉ मेहता ने निर्माण स्थल पर झूठा शिलापट्ट लगाए जाने पर नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति के विकास के लिए सरकार द्वारा काफी जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की लापरवाही के कारण लोगों तक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। बिना शिलान्यास कराए ही घटिया तरीके से निर्माण कार्य कराया जा रहा है जो गंभीर बात है।
विधायक ने बताया कि बालू की जगह डस्ट से निर्माण कार्य हो रहा है, जो भ्रष्टाचार की खुली चुनौती है। वहीं, जब संबंधित जेई से सवाल किया गया, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेकेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ठेंगा दिखाकर मनमाने ढंग से निर्माण करा रहा है। भवन का कार्य मानकों को ताक पर रखकर किया जा रहा है, जिससे भविष्य में भवन की मजबूती पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।