मुंबई। प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया। वे 86 साल के थे। बढ़ती उम्र की समस्याओं को लेकर उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। टाटा समूह ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि की है।
महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिष्ठित व्यवसायी और परोपकारी रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। वहीं, उनका पार्थिव शरीर जनता के अंतिम दर्शन के लिए गुरुवार सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में रखा गया है। जहां लोग पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दे रहे हैं।
पद्मविभूषण रतन टाटा ने जमशेदपुर से अपने करियर की शुरुआत की। देश की जिस सबसे बड़ी कंपनी के वो चेयरमैन बने, उस कंपनी उन्होंने असिस्टेंट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। 1962 में जब रतन टाटा पहली बार जमशेदपुर आए और नौकरी की शुरुआत की, तो किसी को नहीं लगा था कि वो एक दिन इस कंपनी के चेयरमैन बनेंगे।
इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर असिस्टेंट के रूप में नौकरी
रतन नवल टाटा इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद करियर की शुरुआत करने जा रहे थे। माना जाता है कि उस समय टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा के कहने पर रतन टाटा ने कंपनी में असिस्टेंट के रूप में काम करने का फैसला लिया। 1962 में रतन टाटा को समूह की प्रवर्तक कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज में नौकरी का प्रस्ताव मिला, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
रतन टाटा को प्रारंभिक दिनों में ही मिली कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां
1977 में रतन टाटा को मशीन्स कोर के दिन बहुराने की जिम्मेदारी मिली। रतन टाटा उसमें सफल रहे, लेकिन निवेश नहीं मिला और 1986 में वह कंपनी बंद कर दी गई। किसी को नहीं लगा था कि रतन टाटा कभी जेआरडी के उत्तराधिकारी बनेंगे।
टाटा फैमिली के मेंबर रहने के बावजूद सारे काम में महारत हासिल की
रतन टाटा ने 1962 में जब टाटा इंडस्ट्रीज में नौकरी की शुरुआत की, तो प्रारंभ में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। रतन टाटा भले ही टाटा फैमिली के मेंबर थे, फिर भी कंपनी के सारे काम करने होते थे। वह अनुभव लेने के बाद कंपनी के सर्वोच्च पद पर पहुंचे थे।
21 वर्षों तक टाटा संस और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे
साल 1991 में रतन टाटा ने टाटा संस और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 21 वर्षों तक उन्होंने कंपनी का नेतृत्व किया। रतन टाटा के नेतृत्व में कंपनी ने कई सफलताएं हासिल की। उन्होंने कंपनी को कई बुलंदियों तक पहुंचाने में मदद की।
टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का टेकओवर
रतन टाटा के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहते समय ही टाटा ग्रुप ने टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस को टेकओवर किया था। इसके अलावा टाटा ग्रुप का कारोबार 100 से ज्यादा तक फैलाने में कामयाबी हासिल की।
राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री ने जताया दुख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने पोस्ट किया, ‘रतन टाटा के दुखद निधन से भारत ने एक ऐसे आइकन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट विकास को राष्ट्र निर्माण और उत्कृष्टता को नैतिकता के साथ जोड़ा। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित, उन्होंने टाटा की महान विरासत को आगे बढ़ाया और इसे और अधिक प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति दी। उन्होंने अनुभवी पेशेवरों और युवा छात्रों को समान रूप से प्रेरित किया। परोपकार और दान के लिए उनका योगदान अमूल्य है। मैं उनके परिवार, टाटा समूह की पूरी टीम और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। मोदी ने अपने पोस्ट में रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान बताया।
वहीं, टाटा समूह ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि करने के साथ एक बयान जारी किया है। जिसमे कहा गया है कि यह उनके लिए बहुत बड़ी क्षति है। बयान में आगे कहा गया है कि उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को बल्कि देश को भी आगे बढ़ाया है।
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन के बाद कहा कि हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वह वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि “टाटा समूह के लिए रतन टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे। उन्होंने उदाहरण पेश कर प्रेरित किया। उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया। वह हमेशा अपने नैतिक सिद्धांतों के प्रति सच्चे रहे।”
हर्ष गोयनका ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताते हुए एक्स में लिखा, रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की मिसाल थे। उन्होंने बिजनेस और उससे अलग भी दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह हमारी स्मृतियों में सदैव ऊंचे रहेंगे।
गौतम अदाणी ने एक्स पर लिखा, “भारत ने एक महान, दूरदर्शी व्यक्ति को खो दिया है जिसने आधुनिक भारत की राह को फिर से परिभाषित किया। रतन टाटा सिर्फ एक बिजनेस लीडर नहीं थे, उन्होंने अखंडता, करुणा और व्यापक भलाई के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ देश की भावना को मूर्त रूप दिया। उनके जैसे महापुरुषों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती।”
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ट्वीट किया, ‘रतन टाटा के साथ गूगल में मेरी आखिरी मुलाकात में हमने वेमो की प्रगति के बारे में बात की और उनका विजन सुनना प्रेरणादायक था। वे एक असाधारण व्यवसाय और परोपकारी विरासत छोड़ गए हैं और भारत में आधुनिक व्यावसायिक नेतृत्व को मार्गदर्शन और विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें भारत को बेहतर बनाने की गहरी समझ थी।’
पद्म भूषण से सम्मानित
उल्लेखनीय है कि रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को हुआ था। उन्हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। भारत के कारोबारी जगत में रतन टाटा के योगदान की काफी अहमियत है। उन्हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किए जा चुका है। वह प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कानोन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड के पूर्व छात्र हैं।