रांची। लोकसभा चुनाव में भाजपा और झामुमो के कई विधायकों ने भी किस्मत आजमाई। इनमें अधिकांश ने सांसद बनने का सफर तय किया जबकि कई को निराशा हाथ लगी। चुनाव लड़ने वालों में मनीष जायसवाल (हजारीबाग), ढुल्लू महतो (धनबाद), सीता सोरेन (दुमका) और ताला मरांडी (राजमहल) शामिल हैं।
इंडी गठबंधन की ओर से विनोद सिंह (कोडरमा), मथुरा महतो (गिरिडीह), नलिन सोरेन (दुमका), समीर मोहंती (जमशेदपुर), जोबा मांझी (सिंहभूम), प्रदीप यादव (गोड्डा), लोबिन हेम्ब्रम (राजमहल) और चमरा लिंडा (लोहरदगा), पूर्व विधायक सुखदेव भगत (लोहरदगा) और केएन त्रिपाठी (चतरा) शामिल हैं।
विधायक से बने सांसद
लोकसभा चुनाव-2024 में जिन विधायकों ने कामयाबी का झंडा गाड़ा, उनमें इंडी गठबंधन के प्रत्याशियों की संख्या अधिक रही। एनडीए की ओर से मनीष जायसवाल, ढुल्लू महतो (दोनों भाजपा) को जीत मिली। इंडी गठबंधन से जोबा मांझी, नलिन सोरेन, पूर्व विधायक सुखदेव भगत और कालीचरण मुंडा को कामयाबी मिली।
इन सीटों पर रोचक रहा मुकाबला
हजारीबाग सीट पर भाजपा विधायक मनीष जायसवाल और भाजपा के ही पूर्व विधायक (अब कांग्रेस) जेपी पटेल के बीच मुख्य मुकाबला दिखा। लोकसभा का टिकट मिलने के भरोसे पर जेपी पटेल ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था। यहां से भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद जयंत सिन्हा का टिकट काटकर मनीष को अपना प्रत्याशी बनाया था।
लोहरदगा में कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधायक सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया था जबकि भाजपा ने यहां से वर्तमान सांसद सुदर्शन भगत का टिकट काटकर राज्यसभा के पूर्व सदस्य समीर उरांव को टिकट दिया था। इस सीट पर खास बात यह रही कि बिशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर चुनाव को रोमांचक बना दिया था। वह भी तब जब यहां से कांग्रेस की ओर से सुखदेव भगत को खड़ा कर दिया गया था।
राजमहल सीट पर झामुमो ने वर्तमान सांसद विजय हांसदा को ही फिर से खड़ा किया। इस पर झामुमो विधायक (अब निष्कासित) लोबिन हेम्ब्रम नाराज हो गये थे और निर्दलीय ही नामांकन दाखिल कर दिया था। ऐसे में विजय हांसदा के सामने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक ताला मरांडी के साथ लोबिन हेम्ब्रम की भी चुनौती थी।
धनबाद सीट से एनडीए ने वर्तमान सांसद पीएन सिंह (भाजपा) का टिकट काटकर विधायक ढुल्लू को टिकट दिया था। उनके सामने मुख्य रूप से कांग्रेस विधायक अनूप जयमंगल सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह की चुनौती थी। गिरिडीह सीट से टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो (झामुमो) ने किस्मत आजमाई थी। यहां से भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी की ओर से वर्तमान सांसद सीपी चौधरी मैदान में थे।
जमशेदपुर सीट से झामुमो विधायक जोबा मांझी वर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा पर लगातार बढ़त बनाए रखी। गोड्डा सीट पर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव और वर्तमान सांसद निशिकांत दुबे (भाजपा) के बीच मुख्य मुकाबला रहा। खूंटी सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक कालीचरण सिंह मुंडा और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा में मुकाबला रहा, जिसमें कालीचरण शुरू से बढ़त बनाए रहे और जीते भी।
लोकसभा चुनाव के ठीक पूर्व झामुमो विधायक सीता सोरेन ने पार्टी और परिवार पर उपेक्षा का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। ऐसे में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के गढ़ दुमका में सीता और नलिन के बीच हुए मुकाबले पर सबकी नजरें थीं। इस लड़ाई में अंततः नलिन ने सीता को परास्त कर दिया।
कल्पना सोरेन के रूप में झारखंड विधानसभा को मिला नया सदस्य
लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड में गांडेय विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव हुआ। इसमें झामुमो नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने भाजपा के दिलीप वर्मा को 25 हजार के भी अधिक वोटों के अंतराल से हराया। वैसे इस सीट पर पूर्व में भी उसी पार्टी के विधायक सरफराज अहमद थे, जो बाद में राज्यसभा सदस्य बन गये। इस तरह से राज्य में जहां कुछ विधायक सांसद बन गये, वहीं विधानसभा को एक नया सदस्य भी मिला।