कोडरमा। गाय को भारतीय संस्कृति में पूजनीय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गौ माता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। गौ पालक अपने गाय से विशेष लगाव रखते हैं, लेकिन कोडरमा में एक गौ पालक का अपने गाय की बाछी के प्रति ऐसा अनूठा प्रेम शायद ही आपने पहले कहीं देखा होगा। यहां बाछी का पालन पोषण छोटे बच्चे की तरह किया जा रहा है। बाछी करीब 50 हजार रूपये की मैट्रेस पर सुकून भरी नींद पूरी करती है।
मोटरसाइकिल की आवाज सुनकर पुकारना शुरू कर देती है बाछी
शहर के ब्लॉक रोड़ निवासी बीरु फर्नीचर के संचालक बीरेंद्र यादव (बीरु) से विशेष बातचीत में बताया कि कुछ वर्ष पहले उन्होंने एक 11 महीने की बाछी को पालने के लिए घर लाया था. जिसे उन्होंने राधा नाम दिया था। कुछ महीने बाद गाय ने एक बाछी को जन्म दिया, जिसका नाम उन्हें गौरी रखा था। अब गाय ने करीब एक महीने पहले दूसरी बाछी को जन्म दिया है, जिसका नाम उन्होंने परी रखा है। उन्होंने बताया कि कम समय में बाछी के साथ उनका ऐसा लगाव हो गया कि शाम में घर पहुंचने पर उनकी बुलेट मोटरसाइकिल की आवाज सुनकर बाछी “परी” अपनी आवाज में उन्हें पुकारना शुरू कर देती है।
ठंड से बचाव के लिए ओढ़ाया जाता है मखमली कंबल, बेड पर कभी नहीं की गोबर
बीरु यादव ने बताया कि बाछी परी उनके साथ घर के दूसरे तल्ले पर सीढ़ियां चढ़कर पहुंचती है। यहां मुख्य दरवाजा के बाहर ही बाछी गोबर करने के बाद घर में प्रवेश करती है। इसके बाद अन्य दूसरे कमरों को छोड़कर बाछी परी सीधे उनके कमरे के बेड पर चढ़कर बैठ जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले 28 दिनों से बाछी परी उनके पलंग पर ही सो रही है। इस दौरान ठंड से बचाव के लिए उसे मखमली कंबल भी ओढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि इतने दिनों में आज तक बाछी ने बेड पर कभी गोबर या पेशाब नहीं किया है।
प्रतिदिन सुबह करीब 4 बजे बाछी बेड से उतरकर बाथरूम के समीप जाकर पेशाब करती है। उन्होंने बताया कि वह भी परी बाछी की छोटे बच्चे की तरह देखभाल कर रहे हैं। उनके घर में गाय और बाछी को परिवार के सदस्य के रूप में देखभाल की जाती है। बड़ी गाय राधा और बड़ी बाछी गौरी उनके साथ मॉर्निंग वॉक के लिए भी निकलती है। गाय की सेहत और साफ सफाई देखकर लोग उनके गौसेवा की खूब तारीफ भी करते हैं।
गाय पालने में हो दिक्कत तो गौशाला में गाय का अभिभावक बनाकर करें सेवा
उन्होंने कहा कि हमारे धर्म संस्कृति में शुरुआत से ही गौ पालन का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन बढ़ती आबादी में जगह की कमी होने पर कई लोगों ने गौ पालन छोड़ दिया है। ऐसे में उन्हें जिले में संचालित श्री कोडरमा गौशाला से जुड़कर गौसेवा करने का पुण्य कमाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप घर में गौ पालन नहीं कर सकते हैं तो गौशाला में पलने वाली गाय का अभिभावक बनकर उनकी सेवा कर सकते हैं। इसके अलावा स्वेच्छा अनुसार गौशाला में दान कर भी गौ सेवा कर सकते हैं।