कोडरमा। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मेघातरी पंचायत के वार्ड नंबर 7 के गांव ताराघाटी, खलकतम्बी एवं सुग्गी के लोग वन भूमि में ही अपनी झोपड़ी बना कर करीब 80 से 90 वर्षो से रहते आ रहे हैं। यहीं जंगलों में (अभ्रक) ढिबरा स्क्रैप चुनकर अपना जीवन यापन करते हैं। जहां इन गांवों में करीब 70 परिवार निवास करते हैं। यहां करीब 150 की संख्या में मतदाता हैं और यह सब अपने मताधिकार का प्रयोग भी करते हैं। वन भूमि में ही सरकारी शौचालय, पेयजल की व्यवस्था, राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, विधवा व वृद्धा पेंशन योजना का लाभ, बिजली विभाग के द्वारा बिजली की व्यवस्था एवं बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्था जिला प्रशासन के द्वारा की गई है।
मगर वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा नहीं दिए जाने से प्रधानमंत्री आवास योजना से सभी परिवार वंचित हैं और आज तक सभी परिवार वन भूमि में ही झोपड़ी व कच्चा मकान बनाकर रहने को मजबूर हैं। हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा मेघातरी में 16 परिवारों के लिए सरकारी भूमि में आवास बनाए गए हैं, जो आधा अधुरा बनकर तैयार भी है, मगर ये लोग अपना आशियाना छोड़ कर जाना नहीं चाहते हैं। वहीं लोगों का कहना है की रोजगार का साधन इन्हीं जंगलों में मौजूद है यहां से क्यूं जाएं।
उक्त मामले के बारे में पंचायत की मुखिया शिला देवी ने कहा कि ताराघाटी, खलकतम्बी एवं सुग्गी के वन भूमि में निवास करने वाले लोग तीन पीढ़ियों से करीब 90 वर्षों से रहते चले आ रहे हैं, जिन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा नहीं दिए जाने से यहां के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं। उन्होंने आगे कहा की जिला प्रशासन के द्वारा गांव में सभी सहूलियत मुहैया कराई गई है। जैसे बिजली, पानी, विद्यालय, आंगनबाड़ी, पेंशन, राशन कार्ड, शौचालय व अन्य मूलभूत सुविधाएं मौजूद है, परंतु यहां के लोग आवास योजना से वंचित हैं। मेरा प्रयास रहेगा कि इन्हें जल्द से जल्द पट्टा मिल जाए और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल सके एवं वे लोग अपने परिवार के साथ खुश रह स