कोडरमा। ढिबरा मजदूरों की लड़ाई जायज है, कोडरमा की पहचान माइका है, इस पहचान को बचाने के लिए ढिबरा मजदूर आन्दोलरत है। पिछले 10 सालों में ढिबरा को लेकर सरकार का रुख बदल गया है, कानून बदलने की जरूरत है, तो संसद में इसकी पहल होनी चाहिए थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि लाखो ढिबरा मजदूरों की आवाज संसद में नही गूंजा। नतीजन फारेस्ट एक्ट के नाम पर जंगली क्षेत्र में रहनेवालों का जीवनयापन उजाड़ा जा रहा।
उक्त बातें जिप अध्यक्ष सह राजद जिलाध्यक्ष रामधन यादव ने ढिबरा मजदूरों के आंदोलन में नैतिक समर्थन देने के दौरान कही। उन्होंने कहा कि माइका-ढिबरा को लेकर 2014 में चुनावी सभा मंे पीएम कैंडिडेट बनकर ब्लाॅक मैदान पहुंचने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने ढिबरा की चमक लाने का वादा किया था, लेकिन पिछले दो चुनाव में ढिबरा मजदूरों का भाजपा ने वोट लेकर ढिबरा पर कुछ नही किया। उन्होंने कहा कि कोडरमा में लाखों लोगों का जीवनयापन ढिबरा से चलता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था ढिबरा की वजह से चलती है, लेकिन ढिबरा को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राजद ढिबरा मजदूरों के आंदोलन के साथ खड़ी है और ढिबरा की लड़ाई में कदम से कदम मिलाकर ढिबरा मजदूरों की लड़ाई को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ रही है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गया है।, गरीब भूख और रोजगार के मुद्दे पर आक्रोशित है। वहीं उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना का पार्टी की ओर से समर्थन किया और संघ को हरसंभव मदद का भरोशा दिया। मौके पर ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार, कलीम अंसारी, राजकिशोर सिंह समेत कई लोग मौजूद थे।