खूंटी। पुरानी कहावत है कि जहां नशा, वहां विनाश। इस कहावत में कहीं भी अतिश्योक्ति नहीं है। शराब की लत ने एक हंसता-खेलता परिवार को पूरी तरह उजाड़ दिया। नशे के कारण पांच मासूम बच्चों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है। बात तोरपा थाना क्षेत्र के टाटी डांड़टोली गांव की है, जहां गत रविवार की रात अजय आईंद नामक एक व्यक्ति ने नशे में धुत होकर अपनी पत्नी बिरसी आईंद की कुदाल से काटकर हत्या कर दी। खुद तो वह जेल चला गया, लेकिन अपने पांच मासूम बच्चों का क्या होगा, शायद उसने कभी नहीं सोचा। दारू की वजह से एक हंसता-खेलता परिवार तबाह हो गया। ममता की मूरत यानी मां का खून हो गया।
वहीं बच्चों की परवरिश कर रहा बाप जेल चला गया। पत्नी को मौत के घाट उतारने के बाद अजय रात भर अपनी बीवी के शव के पास बैठकर रोता रहा। भोर में उसने अपना गुनाह लोगों के सामने कबूल किया कि उसने खुद अपनी पत्नी को कुदाल से काट डाला। पारिवारिक कलह से वो आजिज हो चुका था। दारू पीने की लत ने दोनों पति-पत्नी की खुशहाल जिंदगी में जहर घोल दिया। नशे में हालत इतनी खराब हो गई कि अजय ने अपनी पत्नी की जान ले ली।
सबसे छोटी बेटी उर्मिला केवल दो साल की है। तीन साल की एग्रेस आईंद, चार साल का पवन, पांच साल की कटरीना आईंद और सबसे बड़ा बेटा छह साल का मंगल आईंद यतीम हो गये। इन मासूम बच्चों की हालत देखने वाले हर शख्स के आंखों में आंसू छलक आये। बच्चों ने दो दिनों से भर पेट खाना नहीं खाया था। तीनों बेटियां खासकर छोटी बेटी बार-बार अपनी मां को खोज रही थी। दोनों बेटों का भी यहीं हाल था। कई बार मां को पुकारने के बाद भी जब मां का बदन हिला-डुला तक नहीं, तब बच्चों ने अपनी मां को झकझोरना शुरू कर दिया। उठो, मां हमलोगों को भूख लगी है। रोती-चीखती बच्चियों की हालत देख आसपास के लोग भी रो पड़े।
घटना की जानकारी मिलने पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अलताफ हुसैन के निर्देश पर तोरपा के प्रखंड विकास पदाधिकारी दयानंद कारजी, प्रमुख रोहित सुरीन और उप प्रमुख संतोष कर टाटी डांड़टोली गांव पहुंचे और बच्चों को तत्काल सहायता के तौर पर पांच किलो चावल और अन्य सामान दिये। बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि अनाथ बच्चों को स्पोप्सर्शिप योजना से लिंक करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस योजना कें तहत सभी बच्चों को शिक्षा, पोषण, चिकित्सा आदि के लिए प्रतिमाह चार हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि उनके सगे-संबंधी बच्चों को रखने में असमर्थ होंगे, तो उनको बाल कल्याण समिति के आदेश पर उन्हें बाल गृह में उन्हें आवासन की सुविधा दी जाएगी।