कोलकाता। कसबा में नौकरी गंवाने वाले अभ्यर्थियों पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर तृणमूल कांग्रेस की सांसद सायनी घोष ने पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए और किसी भी परिस्थिति में पुलिस का इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों की आजीविका चली गई है, जो योग्य उम्मीदवार हैं और जो वामपंथी तथा भाजपा की राजनीति के शिकार बने हैं, उनके प्रति पुलिस को और अधिक मानवीय रवैया अपनाना चाहिए। सायनी घोष के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
सायनी घोष के बयान को लेकर विपक्ष ने तृणमूल कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है। भाजपा के राज्यसभा सांसद शमीक भट्टाचार्य ने कहा कि सायनी घोष क्या कहती हैं, इसका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस को ममता बनर्जी ही संचालित करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल की संस्कृति ही लाठीचार्ज की है और पुलिस की कार्रवाई दरअसल सरकार की मर्जी का प्रतिबिंब है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक भट्टाचार्य ने भी पुलिस की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए कहा कि शिक्षकों के प्रति पुलिस का जो रवैया रहा, उससे मुख्यमंत्री पर जनता का भरोसा अब लगभग खत्म हो गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोई भी संवेदनशील व्यक्ति पुलिस की इस बर्बरता की निंदा करेगा और यदि सायनी घोष ने ऐसा बयान दिया है तो उसमें कोई गलती नहीं है।
वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस ने कसबा कांड में क्रूरता और बर्बरता की नजीर पेश की है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस अब उसी पुलिस के इशारे पर नाच रही है, जिसने आम जनता पर अत्याचार किया।
सायनी घोष के बयान पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, तृणमूल के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।