कोलकाता। आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज केस में दोषी करार दिए गए संजय रॉय ने सजा की सुनवाई से पहले सोमवार को सियालदह अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। न्यायाधीश अनिर्बाण दास की अदालत में संजय को पेश किया गया, जहां उन्होंने दावा किया कि उनसे जबरन सिग्नेचर करवाए गए हैं और सबूतों को नष्ट कर दिया गया है।
संजय को सोमवार दोपहर 12:41 बजे अदालत में पेश किया गया। उसने कहा कि मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे फंसाया गया है। मेरा गला रुद्राक्ष की माला से दबाया गया और मुझ पर हमला किया गया। मेरी मर्जी के बिना मुझसे कागजों पर सिग्नेचर करवाए गए।
न्यायाधीश ने संजय को याद दिलाया कि इससे पहले भी उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया गया था। उन्होंने कहा कि आपको तीन घंटे का समय दिया गया था। जो हुआ, वह आपसे बेहतर कोई नहीं जानता। सभी सबूतों को देखने के बाद अदालत को लगता है कि आपके खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं।
संजय ने दावा किया कि पुलिस ने उनसे दुर्व्यवहार किया और मामले को सीबीआई को सौंपने के बाद भी जांच में पारदर्शिता नहीं रखी गई। उन्होंने कहा कि मुझे मेडिकल टेस्ट के लिए जोका ले जाया गया, फिर कमांड अस्पताल और फिर शियालदह अस्पताल लाया गया। यह सब मुझे फंसाने की साजिश है।
संजय के वकील ने अदालत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में मौत की सजा देने से पहले सभी तथ्यों को गंभीरता से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीबीआई इस केस को ‘दुर्लभतम मामलों में दुर्लभ’ बता रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मौत की सजा से पहले दोषी को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए।
संजय के वकील ने न्यायाधीश से मौत की सजा न देने की अपील करते हुए कहा कि यह हमारे मुवक्किल को बचाने का आखिरी मौका है। आपकी अदालत से जो भी सजा उचित हो, दी जाए, लेकिन मौत की सजा न दी जाए।