चीन में एक बार फिर से अज्ञात बीमारी का डर बढ़ गया है, जिसे एक तरह का निमोनिया बताया जा रहा है। हर रोज वहां हजारों बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें तेज बुखार है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है और किसी-किसी के फेफड़ों में गांठें भी बन रही हैं।
चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बच्चों में मोइकोप्लाजमा के कारण फैले निमोनिया में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। चीन ने कहा है कि सर्दियों के दौरान सांस की और बीमारी एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले सकती है।
चीन के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के प्रवक्ता मी फेंग ने रविवार को कहा है कि सामान्य इन्फ्लुएंजा वायरस की वजह से बच्चों के बीमार होने के मामले सामने आए हैं। चीन ने फीवर क्लीनिक की संख्या में इजाफा किया है जिससे मरीजों को समय रहते बेहतर उपचार मिल सके। बीजिंग के यू एन अस्पताल के प्रमुख फिजिशिन डॉक्टर ली टॉंगजेंग का कहना है कि स्कूल और कार्यस्थलों से इस रोग की संभावना है। अगले कुछ सप्ताह में मामले बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि नए वर्ष की शुरुआत और छुट्टियों के दौरान इसकी दूसरी लहर देखने को मिल सकती है। लोगों की भीड़ बढ़ने के साथ ऐसे मामलों में तेज बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
तियानजीन और शंघाई में बढ़े केस
बीजिंग में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि माइकोप्जाजमा के बाद चीन में फ्लू और एडिनोवायरस का सिलसिला तेज हो गया है। बीजिंग के बाद तियानजीन और शंघाई में बीमारी से ग्रसित बच्चों की संख्या में इजाफा देखा गया है। चीन में छोटे बच्चों के भीतर निमोनिया के बढ़ते मामलों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उससे जानकारी भी मांगी थी। जवाब में चीन ने कहा था कि ये मौसमी बीमारी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
वायरस नया तो बड़े लोगों को खतरा
यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के वायरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर जिन डॉंग यान का कहना है कि अभी तक यही पता चला है कि ये पुराना वायरस है। अगर वायरस नया है तो ये व्यस्क लोगों कों भी प्रभावित कर सकता है। वे बताते हैं कि माइकोप्लाजमा एक सामान्य पैथोजन है जो पांच और उससे अधिक उम्र के बच्चों में निमोनिया का कारण है। बीजिंग में इस संक्रमण की दर करीब 40 फीसदी है जो वर्ष 2019 की तुलना में करीब डेढ़ गुना ज्यादा है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि चीन में फैली सांस की बीमारी कोरोना महामारी से पहले जितनी अधिक नहीं है। संगठन के महामारी विभाग की निदेशक मारिया वैन खेरकोव का कहना है कि चीन में हाल के दिनों में जो भी मामले मिले हैं उनमें नया कुछ भी नहीं है। संगठन ने इसकी तुलना कोरोना महामारी से पहले की स्थिति से की है जिससे पता चलता है कि सबकुछ नियंत्रण मे हैं। संगठन चीन की हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
तो चीन में रहस्यमयी बीमारी की यह है वजह?
उन्होंने कहा, ‘देखिए, चीन में लॉकडाउन बहुत सख्त था. इसे पिछले साल दिसंबर में हटा लिया गया था और तब से यह वहां पहली सर्दी है. जहां तक हम बच्चों में संक्रमण के बारे में जानते हैं, 5 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे को साल में 3-8 बार वायरल संक्रमण होता है और प्रत्येक संक्रमण के साथ वह इसके प्रति प्रतिरक्षित हो जाता है.’ उन्होंने आगे कहा कि फिर 5 वर्ष की आयु के बाद संक्रमण की दर कम हो जाती है. तो चीन में जो बच्चे लॉकडाउन के कारण अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाए, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई है, जिसके कारण वे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं.
चीनी वायरस की क्रोनोलॉजी समझिए
यह भी तर्क दिए जा रहे हैं कि यह लॉकडाउन खुलने के बाद का साइड इफेक्ट हो सकता है। जॉन हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्यॉरिटी का कहना है कि पिछले साल जब अमेरिका में लॉकडाउन हटाया गया था तो बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों में अचानक इजाफा देखने को मिला था। वजह यह कि लॉकडाउन में अन्य बीमारियों का प्रसार रुक जाता है।
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