डोमचांच (कोडरमा)। लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत पांच नवंबर को नहाय-खाए से हो गई। बताते चलें कि भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित महापर्व छठ पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस बार यह पूजा पांच नवंबर से शुरू हुई, जो आठ नवंबर की सुबह अघ्र्य देने के साथ समाप्त होगी। इस दौरान महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी।
जानकारों की माने तो पांच नवंबर को नहाय-खहाय और छह नवंबर को खरना होगा, इसके बाद छह नवंबर की रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। सात नवंबर को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देंगे एवं आठ नवंबर को उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं।
उल्लेखनीय हो कि डोमचांच का छठ महापर्व के साथ साथ मेले को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। जहां हजारों की भीड़ मेले में होती है एवं आकर्षक लाइटिंग लोगों को अपनी ओर खींचती है।