खूंटी। खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा आदि जिले बीजू आम के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं, लेकिन मौसम की मार से इस वर्ष बीजू आम का उत्पादन नहीं के बराबर है। भले ही पूरे झारखंड में अब मालदा, आम्रपाली, गुलाबखस, लंगड़ा सहित आम की लगभग तमाम किस्मों के आम का उपादन होता हो, पर 10-12 साल पहले इस क्षेत्र के लोग आम के नाम पर सिर्फ बीजू आम को ही जानते थे।
पूरे आम बाजार में बीजू आम का शेयर 70 फीसदी से अधिक हुआ करता था। पूरे क्षेत्रीय बाजार में आम का दबदबा हुआ करता था। यहां के बीजू आम का स्वाद बिहार, बंगाल, ओडिशा से लेकर नेपाल तक के लोग लेते थे। मालदा, लंगड़ा जैसे आम सिर्फ बड़े शहरों में मिलते थे। झारखंड खासकर गुमला, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, पलामू सहित कई अन्य क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए बीजू आम आय का अतिरिक्त साधन भी है। आमतौर पर गांव के बीजू आम के बगीचों में पूरे गांव वालों का अधिकार होता है। इसलिए पेड़ों पर फले आम का लाभ पूरे गांव के लोग उठाते हैं।
अभी आम पकने लगे हैं और गांववाले बगीचों से आम चुनकर बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करते हैं, लेकिन पर्यावरण असंतुलन, आम पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण बीजू आम का उत्पादन घटता जा रहा है। इस वर्ष झारखंड खासकर खूंटी, गुमला, सिमडेगा आदि क्षेत्रों में बीजू आम का उत्पादन नहीं के बराबर है। समय पर बारिश नहीं होने और अत्याधिक गर्मी के कारण बीजू आम कें मंजर सूख गये थे। यही कारण है कि इस बार लोगों को आचार बनाने के लिए आम नहीं मिल रहा है। पके बीजू आम की उपलब्धता भी काफी कम है।
पर्यावरण का असर पड़ा है उत्पादन पर: अमरेश कुमार
झारखंड में बीजू आम के उत्पादन में कमी के संबंध में आत्मा के उप परियोजना निदेशक अमरेश कुमार कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में काफी फेरबदल हुआ है। इसके कारण अब बसंत ऋतु में सभी आम पेड़ों पर मंजर नहीं आ पाते। इसके अलावा अनावृष्टि, ओलावृष्टि और तेज हवा के कारण आम के मंजर और टिकोरे बर्बाद हो जाते हैं। इसके अलावा समय पर बारिश नहीं होने से मधुवा सहित कई तरह के रोगों का प्रकोप आम के मंजर बढ़ जाता है।
अमरेश कुमार ने कहा कि एक बड़े बीजू आम के पेड़ पर आठ से दस क्विंटल फल का उत्पादन होता है, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण के कारण अब उत्पादन घटकर लगभग तीन से चार क्विंटल हो गया है। उन्होंने कहा कि यदि आम की प्रोसेसिंग की जाए, तो इससे ग्रामीणों को लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि बीजू आम से अचार, अमचूर, अमावट सहित कई तरह के उत्पाद बनाये जा सकते हैं। इससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ तो होगा ही, आम बर्बाद भी नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि कई महिला स्वयं सहायता समूह इस दिशा में सकारात्मक पहल भी कर रहे हैं।